ये सोच आज पता नहीं क्यों आंखों में दो आंसू आये
कोई ये बताये अब ऐसी अच्छी 'माँ' हम कहाँ से लाये!!
जाग जाग रातों में जिसने हममे पाठ पढ़ाया
दुनिया के सामने एक अच्छा इंसान बनाया
सुनाकर कहानियाँ अच्छी अच्छी जिसने रोज़ सुलाया
सेवा में हमारी जिसने दिन रात एक बनाए
ऐसे कोमल भाव आज तक हमने किसी में न पाए .....
जिसके लिए हरि भी झोली ले,,, द्वार पर आये
आज ‘वो’ नहीं रही बीच हमारे,ये सोच हर पल मन घबराए,
और वो मेरी हिम्मत ,मेरी ताकत,वो स्पर्श अब कहाँ से लाऊं
कोई ये बताये अब ऐसी अच्छी 'माँ' हम कहाँ से लाये!!
अपने जीवन में मैने अपनी माँ का रिश्ता अपने लिए उम्मीदों से परे ही देखा ,शायद एक बेटी हूँ मैं,..लेकिन कभी-कभार आँखें उनकी सबके लिए उम्मीदों से भरी होती थीं ,..भले ही वो चाहे कुछ नहीं कहती थीं
,..पर आज जब 20
वर्ष बाद जब मैं उनकी जगह हूँ,तब वो आँखें याद करती हूँ ,जब हम उनकी उम्मीदों पे खरे नहीं उतरते थे ,और तकलीफ उनको होती थी ,...पर इसका मतलब ये नहीं हुआ की हम रिश्तों या भावनाओं से दूर रहे या स्वार्थी हों ,..वरन मेरे ख़याल से उम्मीदों से परे परमार्थी हों !!!!!......जिसमें सही में एक सुकून , मासूमियत और भावनाएँ अपने और दूसरों के लिए बरकरार रहे……..
कोई ये बताये अब ऐसी अच्छी 'माँ' हम कहाँ से लाये!!
जाग जाग रातों में जिसने हममे पाठ पढ़ाया
दुनिया के सामने एक अच्छा इंसान बनाया
सुनाकर कहानियाँ अच्छी अच्छी जिसने रोज़ सुलाया
सेवा में हमारी जिसने दिन रात एक बनाए
ऐसे कोमल भाव आज तक हमने किसी में न पाए .....
जिसके लिए हरि भी झोली ले,,, द्वार पर आये
आज ‘वो’ नहीं रही बीच हमारे,ये सोच हर पल मन घबराए,
और वो मेरी हिम्मत ,मेरी ताकत,वो स्पर्श अब कहाँ से लाऊं
कोई ये बताये अब ऐसी अच्छी 'माँ' हम कहाँ से लाये!!