...कि वो दिलकश नज़ारे कहाँ गए ???
कि फूल तो खुश हुए ,..जाने वो सितारे कहाँ गए ???
वो दौर..जो ज़िंदगी का नज़रों से निहारते ...
वो निखरे सपनो के होश के धारे कहाँ गए ??
वो तकदीरें ,,,जो कभी ठहरी औस थी एक पत्ते पे;;
कब फिसलकर पत्ते से ...मायूसी के मारे कहाँ गए.??.
इन सबसे और भी ना हो जाऊं ,,मैं बिखरा-बिखरा सा..;
कहाँ वो यार,..वो काफिले थके-माँदे कहाँ गए??
कोई तो आये कि, सोचेंगे अब उन 'उम्मीदों से परे...
बेचैन से हो चुके हैं,,इस पले यादों के दर्द से ..;
क्या कहिये कि,'वो अरमान भी इस दिल के मारे कहाँ गए ??
कि फूल तो खुश हुए ,..जाने वो सितारे कहाँ गए ???
वो दौर..जो ज़िंदगी का नज़रों से निहारते ...
वो निखरे सपनो के होश के धारे कहाँ गए ??
वो तकदीरें ,,,जो कभी ठहरी औस थी एक पत्ते पे;;
कब फिसलकर पत्ते से ...मायूसी के मारे कहाँ गए.??.
इन सबसे और भी ना हो जाऊं ,,मैं बिखरा-बिखरा सा..;
कहाँ वो यार,..वो काफिले थके-माँदे कहाँ गए??
कोई तो आये कि, सोचेंगे अब उन 'उम्मीदों से परे...
बेचैन से हो चुके हैं,,इस पले यादों के दर्द से ..;
क्या कहिये कि,'वो अरमान भी इस दिल के मारे कहाँ गए ??