गए बीते दिनों से,,,,'आज यूँ लगा कि जैसे..;
ख़ुद को कहीं भूल तो नहीं गया मैं???
अपनों ने जो कभी तन्हा-उदास छोड़कर...
अपनों ने जो कभी तन्हा-उदास छोड़कर...
आज फिर आइना देखने को कहा हो जैसे.!!
उसी आईने ने पूछा आज एक सवाल मुझसे;
कब तक यूँ उम्मीद-ए-वफ़ा रखेगा सबसे..;
अभी कुछ अल्फ़ाज़ों में समेटा था मैने तुझे!!
..कि..'अभी मेरे अक्स में तेरी वो तस्वीर बाकी है!!!
एहसास हुआ ..'बिखेरने के बाद सिमटने की उम्मीद ;
एक ख़लिश सी शायद इस दिल में बाकी है !!
बे-नाम ख्यालों में,,और होठों पे अनकही ..;
और उस अनकही में भी कुछ जान बाकी है !!
मैं तो इसी फ़हमी में था....;
...कि हाथ किसी का कभी हाथ में आने से;
...शायद दर्द-तन्हाई को मिले फिर नयी ज़िंदगी...
रफ़ाक़त किसी की रास आये..'ये अरमान कहीं बाकी है!!!
उम्मीद से परे...'उन अक्स-ओ-ख्यालों के परे..,
अभी कुछ अल्फ़ाज़ों में समेटा था मैने तुझे!!
..कि..'अभी मेरे अक्स में तेरी वो तस्वीर बाकी है!!!
एहसास हुआ ..'बिखेरने के बाद सिमटने की उम्मीद ;
एक ख़लिश सी शायद इस दिल में बाकी है !!
बे-नाम ख्यालों में,,और होठों पे अनकही ..;
और उस अनकही में भी कुछ जान बाकी है !!
मैं तो इसी फ़हमी में था....;
...कि हाथ किसी का कभी हाथ में आने से;
...शायद दर्द-तन्हाई को मिले फिर नयी ज़िंदगी...
रफ़ाक़त किसी की रास आये..'ये अरमान कहीं बाकी है!!!
उम्मीद से परे...'उन अक्स-ओ-ख्यालों के परे..,
कभी,,किसी मोड़ पर अब ख़ुद से बिछड़ने से पहले...;
जान लूँ आख़िर 'ख़ुद को..'इस ज़माने से पहले..,
जान लूँ आख़िर 'ख़ुद को..'इस ज़माने से पहले..,
..कि....ना किसी की तामील करे अब ये नादाँ दिल...;
कि....'ख़ुद और ख़ुदा' से अभी बेशुमार मोहब्ब्त बाकी है..!!!!
कि....'ख़ुद और ख़ुदा' से अभी बेशुमार मोहब्ब्त बाकी है..!!!!
Ritu ji lajwaab
ReplyDeleteIts depressive.......but I like the last line......"KHUD AUR KHUDA SE ABHI BESHUMAAR MOHBBAT BAKI HAI"
ReplyDeleteMohabbat he zindagi hai Ritual ji ...
ReplyDeleteSadhuvaad. Arena aur tasveer bolte hain....kahanee kahte hain......
Aaeena aur tasveer bolte hain.
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteShukriya...Mr.Anonymous and all of my Nearest N Dearest ones.....for appriciating posts...do keep in touch further....
DeleteRegds
khuda se karo na karo.. khud se mohabbat jaroori hai.. agar khud se na kar sako to doosron se umeed ka koi matlab nahi
ReplyDeleteExactly @Sourbh....shayd Marichika bharmm mein hum yun hi parchhayion ke peechey bhagtey hain jabki..Khud aur Khudaa se Ishq ke baad kisi ki jarurat ya umeed nahi rahegi......
DeleteRegds
Kamaal Kar Diya Dee...
ReplyDeleteAaina jo dikhata he:
ReplyDeletewo har baar haqiqat nahi hoti..
wo har baar dhoka bhi nahi hota..
wo har baar sapna bhi nahi hota..
wo har baar apna bhi nahi hota..
Aaina har bar wohi dikhata he jo ham har baar dekhna chahte he..
Nice lines Gauri,.and Agreed wid too......jabhi zindgi ke har pahlu,,,tasveer aur aaine ke aks se parey,...sirf yahan lekhak bhi wo hi dekhnaa chaah raha hai,....jo wo aant mein khud ko bheetar se tatolkar ab apne se mohbbt chaah raha hai...do keep in touch wid regular...
DeleteAger koi insan bepanah mohbbat kar
ReplyDeletesakta hai,
To nafrat bhi ker sakta hai.
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Kyunki.
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Ek khubsurat shisha jab tutata hai,
To khatarnak hathiyar ban sakta hai..!... for my maya.
Kya baat,.....!!!!wahhh
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