‘दुआ…….
कभी कभार 'कोई' शिद्दत से उस दुआ की तरह लगता है,
हाथ जो बारिश की ख्वाइश में सख्त गर्मियों में उठते हैं !!!!
जब तक दिल न चाहे तो जुबां तक में असर नहीं होता,…
‘उमीद्दों से परे, भी मुहब्बत तक की दुआ कबूल नहीं होती!!
आज फिर मुझे उन दुआओं के सहारे की सख्त जरूरत है !
ऐ काश ! कि आज मुझे कोई सिर्फ दिल से ही दुआ दे!!!
क्योंकि दुआओं को मुझसे अजीब सी मुहब्बत्त है…,
वो कबूल तक नहीं होती ,मुझे खोने के डर से…!!!
लेकिन कभी जिंदगी भर मुस्कुराने कि दुआ मत देना,...दोस्तों,,
शायद,,,,पल भर मुस्कुराने की सज़ा भी मालूम है मुझे!!!!!
क्योंकि,,,,जीने की दुआ और तम्मना अब कौन करे,,,???
ये दुनिया हो या वो,,दर्द के साथ,'ख्वाइश दुनिया की कौन करे?
कभी कभार 'कोई' शिद्दत से उस दुआ की तरह लगता है,
हाथ जो बारिश की ख्वाइश में सख्त गर्मियों में उठते हैं !!!!
जब तक दिल न चाहे तो जुबां तक में असर नहीं होता,…
‘उमीद्दों से परे, भी मुहब्बत तक की दुआ कबूल नहीं होती!!
आज फिर मुझे उन दुआओं के सहारे की सख्त जरूरत है !
ऐ काश ! कि आज मुझे कोई सिर्फ दिल से ही दुआ दे!!!
क्योंकि दुआओं को मुझसे अजीब सी मुहब्बत्त है…,
वो कबूल तक नहीं होती ,मुझे खोने के डर से…!!!
लेकिन कभी जिंदगी भर मुस्कुराने कि दुआ मत देना,...दोस्तों,,
शायद,,,,पल भर मुस्कुराने की सज़ा भी मालूम है मुझे!!!!!
क्योंकि,,,,जीने की दुआ और तम्मना अब कौन करे,,,???
ये दुनिया हो या वो,,दर्द के साथ,'ख्वाइश दुनिया की कौन करे?