ये ज़रूरी नहीं की कभी कह भी देते अपनी चाहतें ,,,,क्योंकि
ज़ाहिर करने की एक और जुबान होती है तमन्नाओं की !!!!!
जिंदगी, के खट्टे -मीठे पन्ने पलटने के बाद ये इल्म हुआ,. कि....जिंदगी एक चाहत, तमन्ना ,एक सपने ,छल ,उल्फत, नफरत ,एक शर्त के सिवा कुछ भी नहीं है,....
कोई मिला…कोई बिछुर गया,लेकिन जिसे भी शिद्दत से पाना चाहा,...करीब तक लाना चाहा,, वो’..या तो वो तकदीर के हाथों फिंसल. गया...या आने से पहले ही सिर्फ शर्तों के हाथों मुकर गया,,जैसे की अब लगता है..हर रिश्ते के मामले में गरीब हो गए हम ???
कभी जिन्हे हकीकत में भी पाना चाहें वो ख्वाबों में भी नहीं मिलते,....चाहे वो रिश्ते अपने हो या अपने बनाये हुए…???
और आजकल की जिंदगी’ तो जैसे शर्तों के अधीन हैं ,...शर्तों से ही जी जाती है क्योंकि ...बिना शर्तों के या तो ..रिश्ते बिखरते हैं, या फिर खुदा और फ़रिश्ते मिला करते हैं....!!!
फिर भी ,..ना जाने… सब जानते हुए भी,…उम्मीद्दों से परे’ …
'किसको और क्यूँ,खोझ्ती रही,.और खोज रही हैं ये नज़रें ..जिस पर ये दम निकले…..,
जबकि हर कोई अपनी मैं,….मुक्कद्दर,…और अपने साए.. के साथ,,,
तन्हा ही इस जीवन से चले !!!!
ज़ाहिर करने की एक और जुबान होती है तमन्नाओं की !!!!!
जिंदगी, के खट्टे -मीठे पन्ने पलटने के बाद ये इल्म हुआ,. कि....जिंदगी एक चाहत, तमन्ना ,एक सपने ,छल ,उल्फत, नफरत ,एक शर्त के सिवा कुछ भी नहीं है,....
कोई मिला…कोई बिछुर गया,लेकिन जिसे भी शिद्दत से पाना चाहा,...करीब तक लाना चाहा,, वो’..या तो वो तकदीर के हाथों फिंसल. गया...या आने से पहले ही सिर्फ शर्तों के हाथों मुकर गया,,जैसे की अब लगता है..हर रिश्ते के मामले में गरीब हो गए हम ???
कभी जिन्हे हकीकत में भी पाना चाहें वो ख्वाबों में भी नहीं मिलते,....चाहे वो रिश्ते अपने हो या अपने बनाये हुए…???
और आजकल की जिंदगी’ तो जैसे शर्तों के अधीन हैं ,...शर्तों से ही जी जाती है क्योंकि ...बिना शर्तों के या तो ..रिश्ते बिखरते हैं, या फिर खुदा और फ़रिश्ते मिला करते हैं....!!!
फिर भी ,..ना जाने… सब जानते हुए भी,…उम्मीद्दों से परे’ …
'किसको और क्यूँ,खोझ्ती रही,.और खोज रही हैं ये नज़रें ..जिस पर ये दम निकले…..,
जबकि हर कोई अपनी मैं,….मुक्कद्दर,…और अपने साए.. के साथ,,,
तन्हा ही इस जीवन से चले !!!!
चाहतों की छटपटाहट और उनकी तमन्नाओं की भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद. करतल ध्वनि के साथ ब्लॉग को जारी रखने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeletethanx Mam, for motivation!!!!!
Deleteया तो वो तकदीर के हाथों फिसल गया...या आने से पहले ही सिर्फ शर्तों के हाथों मुकर गया ...बहत अच्छी अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteशुक्रिया जनाब ,अश्विनी रमेश जी,....भावनाओं की अभिव्यक्ति को समझने के लिए....!!!!
ReplyDeleteजिंदगी क्या है ये कह पाना मेरे लिए तो थोडा मुश्किल है, यूँ समझ लें के शायद इतने गंभीर विषय
ReplyDeleteपर तर्क -वितर्क करने की शमता अभी मुझमे नहीं है हाँ इतना समझ में आया के जिंदगी सब के लिए नयी है ,अलग है और वैसी है जैसी वो उस देखते हैं । रिश्तो को आपने जितना देखा और समझा और जितना जिया उस के आधार पर जो लिखा बहतरीन लिखा है
शुक्रिया सुनीलजी.,,,वैसे मुझ में भी क्षमता नही की इस ज़िन्दगी के उतार -चड़ाव को समझूं या कुछ कह भी सकूं पूरी तरह...ये तो सिर्फ सारांश की एक छोटी सी कड़ी है...,,,..जो अभी तो खट्टे मीठे तजुर्बे से सिर्फ शरू हुई है.....,, अंत तो सिर्फ 'खुदा 'ही जाने....!!!!
Deletefir bhi,..anyways...saath jurney ke lie shukriya!!!!!!!!!!
Waqt ek sa nhi rehta hai kabhi sun lo,Unhe bhi rona padta hai jo dusro ko
ReplyDeleterulaate hai.