Sunday, June 23, 2013

‘दुआ…….  
कभी कभार 'कोई' शिद्दत से  उस दुआ की तरह लगता है,
हाथ जो  बारिश की ख्वाइश में सख्त गर्मियों में उठते हैं !!!!
जब तक दिल चाहे तो जुबां तक में असर नहीं होता,…
उमीद्दों से परे, भी मुहब्बत तक की दुआ कबूल नहीं होती!! 
आज फिर मुझे उन दुआओं के सहारे की सख्त जरूरत  है !
काश ! कि आज मुझे कोई सिर्फ दिल से ही दुआ दे!!!
क्योंकि दुआओं को मुझसे अजीब सी मुहब्बत्त है,
वो कबूल तक नहीं होती ,मुझे खोने के डर से!!!
लेकिन कभी जिंदगी भर मुस्कुराने कि दुआ मत देना,...दोस्तों,,
शायद,,,,पल भर मुस्कुराने की सज़ा भी मालूम है मुझे!!!!!
क्योंकि,,,,जीने की दुआ और तम्मना अब कौन करे,,,???
ये दुनिया हो या वो,,दर्द के साथ,'ख्वाइश दुनिया की कौन करे?



6 comments:

  1. नज़्म अच्छी है !

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया अश्विनी सर !

      Delete
  2. मधुमिता शर्माJune 24, 2013 at 4:36 PM

    आज फिर तुम पे प्यार आया है....
    बेहद और बेहिसाब आया है....
    बेहद संजीदा तरीके से दुआओं को बद्दुआओं की तरह से पेश करने का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा! बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति है!

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया मधुमिता जी , और अन्दर की अभिव्यक्ति और भावनाओं को समझने के लिए ,......!!!!

      Delete
  3. Good Attempt. Emotions need expression and you are doing a commendable job. Keep it up.

    ReplyDelete
  4. You expressed beautifully :)

    ReplyDelete