कल
जो हल्की हल्की
बारिश थी,.उनमें सर्द
हवा के
झोंके थे,,
जब हथेली पे गिरी कुछ बूँदें उस बरसात में ,...;;
तो जाने तन्हाई में आ जाते हैं कहाँ से छुपे हुए ज़ज्बात भी??
ये एहसासों का ज़ज्बा ही है जो कभी इस कदर बड़ जाता है ,..
और महरूम कर देता है किसी की गैरमौजूदगी को...???
आज उस एहसास भरी सोच,..गहरी' लेकिन पथराई हुई सी.,
बंद नम आँखें,..और चंद माथे पे उन बिखरे बालों के साथ...
अपने ही हाथ पे हाथ धरे जब यूँ ही मैं खड़ी थी ....;;
कि लगा यूँ जैसे कहीं से हलके से एक एक...करके ,...
कब कोई लम्हों की तरह समेटेगा उन्हे,...
और फिर कब चौंक कर...
जो हसरत भरी नज़र परेगी उस पर,....तो कहेगा,..
'मैं हूँ ना'....फिर क्यूँ ये दिल और आँखें उदास है???
और जाने कब पलक झपकते ,...ये कहूँ कि,...
गुमसुम यादें ,...टूटे-जुडते उम्मीद से परे' वो सपने.....
कैसे कटेंगे,...उम्र है...कोई रात तो नहीं????"
फिर कब...उन बूंदों ने ,एक मुस्कुराहट के साथ एहसास दिलाया ....
कि ...खामोशियाँ भी जो गुनगुनाती हैं,....दिलकश होती हैं,,,,
जब हथेली पे गिरी कुछ बूँदें उस बरसात में ,...;;
तो जाने तन्हाई में आ जाते हैं कहाँ से छुपे हुए ज़ज्बात भी??
ये एहसासों का ज़ज्बा ही है जो कभी इस कदर बड़ जाता है ,..
और महरूम कर देता है किसी की गैरमौजूदगी को...???
आज उस एहसास भरी सोच,..गहरी' लेकिन पथराई हुई सी.,
बंद नम आँखें,..और चंद माथे पे उन बिखरे बालों के साथ...
अपने ही हाथ पे हाथ धरे जब यूँ ही मैं खड़ी थी ....;;
कि लगा यूँ जैसे कहीं से हलके से एक एक...करके ,...
कब कोई लम्हों की तरह समेटेगा उन्हे,...
और फिर कब चौंक कर...
जो हसरत भरी नज़र परेगी उस पर,....तो कहेगा,..
'मैं हूँ ना'....फिर क्यूँ ये दिल और आँखें उदास है???
और जाने कब पलक झपकते ,...ये कहूँ कि,...
गुमसुम यादें ,...टूटे-जुडते उम्मीद से परे' वो सपने.....
कैसे कटेंगे,...उम्र है...कोई रात तो नहीं????"
फिर कब...उन बूंदों ने ,एक मुस्कुराहट के साथ एहसास दिलाया ....
कि ...खामोशियाँ भी जो गुनगुनाती हैं,....दिलकश होती हैं,,,,
..........पर
.........फ़िज़ूल कभी नहीं होती!!!!
waah ritu ji phir aapne apne shabon se sabko behaal kar diya hoga.sahi hai khamishi kabhi fizul nahi hoti woh sada kuch kehti hai. sirf usko sunne ki taakat sab mein nahin.
ReplyDeletekabhi kabhi akelapan bhi raas aa jata hai.aur dil barbas hi khush ho jata hai.
you are the best and you write ultimate feelings.
this time i am the first to comment. :)
keep it up.
Shukriya,..Raaj ji,...nirantar jurney ke liye,..Aabhaar!!!
Deleteand further enjoy the feelings behind the words.....and do keep in touch wid posts...
Regds
Mei hoon na...:-) Barish ki boondey kisi ke hone ka ehsaas dilati hai...Truly Awesome...its more than real Feeling...
ReplyDeleteRituji.. ab kya kahe..!! jo apne likhe he wo he jasbaat...
ReplyDeletesab ke khud ke hote he.. mere bhi he.. sab ke honge.
hum bhi feel karte he.. Khud se dohrate he.. magar khud ke jasbaat dusro ko feel karvana koi sikhe to bas AAPSE.
Laounga Mein Kahan Se ...... Judai Ka Hosla,
ReplyDeleteQyun Is Qadar Qareeb Mere Aa Gaye ho Tum..
wahh! khoobsurat lines hain,..
DeleteThanx Gaurang for being in touch with posts regular,...
kya baat hai ritu- "Khair main pyasa raha,par usne itna tou kiya,
ReplyDeleteMeri palkon ki qataaron ko wo pani de gaya..............
Wo To Baarish Ki Boondein Dekh Kr Khush Hota tha,,
DeleteUsKo Kya Maloom ke Har Girny Wala Qatra Paani Nahi Hota ?
do keep in touch witd posts further...,...Madhu!!!