सहारा ढूँढ रहा था..मैं हंसी ज़िंदगी के लिए..;
एक अज़नबी का साथ चाहिए रहगुज़र के लिए;
..'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
गुज़ार दिया जो राहों से हमने सफ़र अपना..;
गए दिनों बेज़ार,,बेज़ान-सा रहा दिल अपना.;
एक अज़नबी का साथ चाहिए रहगुज़र के लिए;
..'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
गुज़ार दिया जो राहों से हमने सफ़र अपना..;
गए दिनों बेज़ार,,बेज़ान-सा रहा दिल अपना.;
कि 'बेखुदी ,तन्हाई ,आवरगी ,.किसको सुनाएं;
हुए ऐसे हरदम .'अपने साये से ही भागे जाएँ ;
.....'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
अपनी परछाईं तक से अक्सर ख़ौफ़ लगे...;
.....'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
अपनी परछाईं तक से अक्सर ख़ौफ़ लगे...;
फिर ना हो जाऊँ बिखरा-सा तनहा क्यूँ कर लगे;
दिन भर में ख़ुद की सुनकर ,ख़ुद से कहके;
दिल थक-हारा है…'सब पे ऐतबार करके..;
......'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
ज़िंदगी जैसे जाल बनकर रह गयी है ख्वाबों में ;
परछाईं भी साथ...ना छोड़ दे कभी इन चिरागों में;
उम्मीद से परे..'अब क्या दोस्तों-रक़ीबों को आज़माए;
दिल थक-हारा है…'सब पे ऐतबार करके..;
......'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
ज़िंदगी जैसे जाल बनकर रह गयी है ख्वाबों में ;
परछाईं भी साथ...ना छोड़ दे कभी इन चिरागों में;
उम्मीद से परे..'अब क्या दोस्तों-रक़ीबों को आज़माए;
तमन्ना यही..'ख़ुदा अब मेरा रहनुमां बन क़रीब आये.;
........'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!
........'कि कोई रहमराज़ ना मिलता....!!!