आज
कुछ अपना मिज़ाज़ जुदा-जुदा सा लगता है..
...इस तन्हाई में और ना हो जाऊं बिखरा सा
'कि तन्हा सिमेटने से भी डर लगता है???
कभी तलब तो, कभी ख़फ़ा सी लगती है ये ज़िंदगी ..;
जाने क्या लगती है तू मेरी,,'कैसी धरोहर है ये ज़िंदगी?
हर पल लगे, यहाँ हर किसी पे एक नक़ाब है
...पर हर चेहरे में बे-परवाही,...'एक रूखापन.....;
...बद-मिज़ाज़ी का ओढ़े,,हर किसी का रिवाज़ है.!!
.कभी ये सफ़र 'लगे एक खलिश,..एक सज़ा है.,
.....फिर दूजे पल लगे ,,कि अभी...
.....होश खोने के दिन नहीं,...;'ज़ब्त खुद को करने के दिन नहीं ...;
उम्मीदों से परे' उस एक पल को,'जिसे हम कह्ते हैं ज़िंदगी;
ख्वाइश है कि निकले अब बची उमर की मुसाफ़तें...;
....सिर्फ उन रहगुज़र,,,रह-नुमां दोस्तों की नज़र...
ना छोड़ा दामन मेरा वहाँ,...जहाँ छोड़ा अपनों ने परायों सा ,.
...इस तन्हाई में और ना हो जाऊं बिखरा सा
'कि तन्हा सिमेटने से भी डर लगता है???
कभी तलब तो, कभी ख़फ़ा सी लगती है ये ज़िंदगी ..;
जाने क्या लगती है तू मेरी,,'कैसी धरोहर है ये ज़िंदगी?
हर पल लगे, यहाँ हर किसी पे एक नक़ाब है
...पर हर चेहरे में बे-परवाही,...'एक रूखापन.....;
...बद-मिज़ाज़ी का ओढ़े,,हर किसी का रिवाज़ है.!!
.कभी ये सफ़र 'लगे एक खलिश,..एक सज़ा है.,
.....फिर दूजे पल लगे ,,कि अभी...
.....होश खोने के दिन नहीं,...;'ज़ब्त खुद को करने के दिन नहीं ...;
उम्मीदों से परे' उस एक पल को,'जिसे हम कह्ते हैं ज़िंदगी;
ख्वाइश है कि निकले अब बची उमर की मुसाफ़तें...;
....सिर्फ उन रहगुज़र,,,रह-नुमां दोस्तों की नज़र...
ना छोड़ा दामन मेरा वहाँ,...जहाँ छोड़ा अपनों ने परायों सा ,.
हताश भरे किसी भी पल को .खुशनुमां,,,ग़ाफ़िल*..;
,..सदरंग बनाया ,मेरे इर्द-गिर्द 'अपने
ही सायों का...!!!
*ग़ाफ़िल-----बेख़बर
......Dedicated to My Friends Nishita, Meenu, Saroj ,Gauri & Devika !!
Very true ritu ji..
ReplyDeleteJindagi kabhie lagti ek dua hai
kabhie lagti ek saza hai...
Bandh ankhe karke sochti hoo tou lagta hai ki aapno ka satth ho toh dua nahie toh saza
Thanks,,,,Dhiraj ji for your appriciation the feelings behind the words...n do keep in touch with posts further....
DeleteZindgi jab mayoos hoti hai,,,'Tabhi mehsoos hoti hai!!!
regds...
अगर यूँ ही कमियाँ निकालते रहे आप....
ReplyDeleteतो एक दिन सिर्फ खूबियाँ रह जाएँगी मुझमें....
.. thank to your appriciation for my friendship.. miss you from gujarat.
Ummidon se pare.....sach mein agar dost na hote is zindagi mein pata nhi kaise kattey yeh din...unke sahare ke bina...pata nhi kahan doob jaati yeh kashti....well said mam....
ReplyDeleteJust want to quote
ReplyDeleteKyun mushkilon mein saath dete hain dost
Kyun gham ko baant lete hain dost
Na rishta khoon ka na riwaaz se bandha
Phir bhi zindagi bhar saath dete hain dost!
Aap sabhi doston ko,,,,meri dosti ka saabhaar,..Nirantar meri post se jurne ke liye..
ReplyDeleteaap sab doston ke liye..."कभी ज़ुबान से अब 'फिऱ' नहीं सकती...
जो दुआएं निकल गयी,'तुम्हारे लिए दिल से!!!
Regds!!
अभी मशरूफ हूँ काफी कभी फुरशत मे सोचूंगा....
ReplyDeleteके तुझको याद रखने मे में क्या क्या भूल जाता हूँ।
Thanks Nishita n Saroj,....for best Buddies in my life,.....
ReplyDeleteबहुत दिन हो गए 'मुहब्बत' लफ्ज़ सुनकर,
ReplyDeleteकल 'बेवफ़ा' सुना तो तुम याद आ गए.
तमाशा रोज़ करते हो वफाओं का...'ज़फ़ाओं का;;
Deleteज़रा ठहरते मेरे दिल ...'मोहब्ब्त सीख ही जाते!!!
Dear Anonymous....Umda lines n realistic;...n thanks for being in touch wid posts.n further too..Regds.
Nice
ReplyDeleteअच्छा हो गया मालूम हो गया !
ReplyDeleteअपनों की मोहब्बत अब मोहब्बत नहीं रही !
वर्ना हम तो अपना घर भी छोड़ रहे थे !
उनके दिल में रहने के लिए ......
Behtareen....likhaa aapney!!!
Deleteकुछ ठोकरों के बाद समझदार हो गए हम..;
अब दिल के मश्वरों पे अमाल नहीं करेंगे हम!!!