'ख़ालीपन...'कभी कोरे काग़ज़ जैसा एहसास लगे...
जिसमें तस्वीर,,तहरीरों की कभी स्याही भरते रहें.;
गुनगुनाते रहें ,;लिखते रहें ..;या फिर मिटाते रहें ...!!
इतने सवालों के साथ कैसे हो गए इतने शिद्द्त पसंद हम...
खुद से मोहब्ब्त करना भूल गए हम..
..या खुद से प्यार करके थक चुके हैं हम..;
कि रंज भी हो तो ..'लगे क्यूँ पलकें भिगोते रहें...??
अपने-ग़ैरों को तो आज़मा के देख लिया..
वफ़ा की ख़ुश्बू में दिल जलाकर देख लिया...
रंजिशों की गुफ़तगू से मुब्तिला होकर देख लिया...;
दरबतर, ज़िंदगी को क्यूँ दर्द-ए-सुकून से आगाज़ करते रहें.?
जिसमें तस्वीर,,तहरीरों की कभी स्याही भरते रहें.;
गुनगुनाते रहें ,;लिखते रहें ..;या फिर मिटाते रहें ...!!
इतने सवालों के साथ कैसे हो गए इतने शिद्द्त पसंद हम...
खुद से मोहब्ब्त करना भूल गए हम..
..या खुद से प्यार करके थक चुके हैं हम..;
कि रंज भी हो तो ..'लगे क्यूँ पलकें भिगोते रहें...??
अपने-ग़ैरों को तो आज़मा के देख लिया..
वफ़ा की ख़ुश्बू में दिल जलाकर देख लिया...
रंजिशों की गुफ़तगू से मुब्तिला होकर देख लिया...;
दरबतर, ज़िंदगी को क्यूँ दर्द-ए-सुकून से आगाज़ करते रहें.?
आज चाहूं
कि,'निगाह-ए-सितम में हो वैसी पुरानी हयात.;
क़ाफ़िर...दिल करना चाहे फिर हठ वाली वो बात...;
उम्मीद से परे..'उसी एक अंज़ाम-ए ख़लिश में..
...छुपी उस एक कशिश की कोशिश में...
..ये दिल-ए-बेख़बर ख़ता मोहब्ब्त की हर ,बार करता रहे.............;
....................बार बार करता रहे.............;!!!
क़ाफ़िर...दिल करना चाहे फिर हठ वाली वो बात...;
उम्मीद से परे..'उसी एक अंज़ाम-ए ख़लिश में..
...छुपी उस एक कशिश की कोशिश में...
..ये दिल-ए-बेख़बर ख़ता मोहब्ब्त की हर ,बार करता रहे.............;
....................बार बार करता रहे.............;!!!
Beautiful n Superb wrds
ReplyDeleteThere are two primary choices in life:
ReplyDeleteTo accept conditions as they exist,
or
Accept the responsibility for changing them..!
Agree with you ,,Gauri,,,and i think hurting is also a part of life,,,we shd accept it as positive mode later for move on,....anyways thnks for regular.!
DeletePeople are gonna hurt you,
ReplyDeletebut its your decision who gets a second chance.!
बेहतरीन.....
ReplyDeleteइस धरा पर भगवान ने हर दिन को एक नए रूप के साथ बनाया है और कहा भी गया है
"सब दिन होत न एक समाना" वर्ष भर मौसम करवट बदलते रहते हैं और हर मौसम का अलग मिजाज़ होता है. जीवन भी परिवर्तनशील है और हर दिन हर रिश्ते में नया अनुभव होता है. हमें जो दिल भगवान् ने दे कर भेजा है वो हर दिन नयी तरह से धड़कता है....इन्ही सब भावनाओं को व्यक्त करता हुआ लेख प्रशंसनीय है...अनेकाने साधुवाद.