आज फिर बे-सबब उदास है मन...;
बहुत खिन्न ,,बिखरा-उखड़ा सा है ये;
दिल में जो रहता है अक्सर..
अफ़साना,,वो हुजूम-ए-शौक का;
जाने कब लबों पे उतरेंगे अल्फ़ाज़;
देखकर ज़िंदगी की हैरत-ए-फ़िरदौस का;!!
मगर,,आज भीड़ में भी तन्हा है,.'जी..;
माथे पे सिलवटें...चेहरे पे मायूसी है..
..तमन्ना है,,'चेहरे की किताब से ;
कोई दिल की हर्फ़-ए-ख़ामोशी पूछे;
पूछे कि,'कौन है जो तन्हाई में डरा रहा है;?
ख़ुद से भी कितना दूर भगा रहा है.?
ख़ुश्क आँखें ऐसे ही नहीं ख़ौफ़ खाती हैं..;
तन्हा होकर भी अकेले की आदत क्यों डराती है?
भीड़ से भागें या हुज़ूम हो अपने-बेगानों का
या हिचकियों के लिए पूछे पता किसी मयख़ाने का ??
चेहरे की सिलवटें भी यही कर रही हैं सवाल..
कि ज़िंदगी' जिसने हमें ओढ़ा है ख़ुद से ज्यादा..;
,,हैरत,..तन्हाई से घिरे क्या यूँ ही गुज़र जायेगी???
बहुत खिन्न ,,बिखरा-उखड़ा सा है ये;
दिल में जो रहता है अक्सर..
अफ़साना,,वो हुजूम-ए-शौक का;
जाने कब लबों पे उतरेंगे अल्फ़ाज़;
देखकर ज़िंदगी की हैरत-ए-फ़िरदौस का;!!
मगर,,आज भीड़ में भी तन्हा है,.'जी..;
माथे पे सिलवटें...चेहरे पे मायूसी है..
..तमन्ना है,,'चेहरे की किताब से ;
कोई दिल की हर्फ़-ए-ख़ामोशी पूछे;
पूछे कि,'कौन है जो तन्हाई में डरा रहा है;?
ख़ुद से भी कितना दूर भगा रहा है.?
ख़ुश्क आँखें ऐसे ही नहीं ख़ौफ़ खाती हैं..;
तन्हा होकर भी अकेले की आदत क्यों डराती है?
भीड़ से भागें या हुज़ूम हो अपने-बेगानों का
या हिचकियों के लिए पूछे पता किसी मयख़ाने का ??
चेहरे की सिलवटें भी यही कर रही हैं सवाल..
कि ज़िंदगी' जिसने हमें ओढ़ा है ख़ुद से ज्यादा..;
,,हैरत,..तन्हाई से घिरे क्या यूँ ही गुज़र जायेगी???
...'या उम्मीदों से परे' वज़ह
कभी इस बरबस मन की..;
'बेवज़ह किसी दिलकश की आहट से भी गुनगुनाएगी ????
'बेवज़ह किसी दिलकश की आहट से भी गुनगुनाएगी ????