'वो उनसे जब मुलाक़ात हुई आज' ,,
..चेहरे में था छुपा अनकहा अफ़साना सा,;
यूँ बरसों से पली ख़ामोशियाँ बे-ज़ार हुईं आज'
अज़नबी है अभी'मगर आशना सा लगे मुझे
छुपी नज़रों से अक्सर झांकता देखे जब मुझे
तरन्नुम अल्फ़ाज़ों का जोड़ नहीं रहा था आज'
नज़रें चुराकर वो,'मुख़्तसर सी गुफ्तगू उसकी
यूँ लगा,,ग़र कोई ताल्लुक नहीं उसका मुझसे.;
अंदाज़-ए-ख़ामोशी बयाँ करेगा भी वो कैसे...;
ग़र बा-इरादा दिल शरारत करना चाह रहा हो आज';
आज मिले हैं तो हम भी किस्सा-ए-फ़िराक क्या कहें.,;
लम्हे जो चंद सुकून के मिले ,'उसकी- अपनी सिर्फ सुने,'कहे.;
कभी रंगों की रफ़ाक़त ,,कभी खुश्बू का मौसम करीब लगे..;
उम्मीदों से परे,,'ये ख्वाब हैं या हकीकत से कुछ परे है आज'.....!!
...कि ना-मुमकिन सा लगे इस दिल को समझना-बहलाना आज' ;;
...कि ना-मुमकिन सा लगे इस दिल को समझना-बहलाना आज' ;;
....कि दिल चाहे कर ले सुलह वक़्त से चंद लम्हात की आज'..;
.,'कि ये फ़ितरत-ए-नादाँ अपने ही दिमागी मिज़ाज़ से बहना चाह रहा है आज'.....!!!!
Khoobsurat andaaz-e-bayaan...Uski mohabbat ka abhi nishan baki hai
ReplyDeleteNaam hothon par hai, Jaan abhi baki hai..
MUDDATEIN HO GAYIN TERI YAAD BHI AAYEE NAA HUMEIN, AUR BHOOL GAYE HO HUM TUJHE KUCHH AISA BHI NAHI
ReplyDeleteWat a lovely lines,....Wahhh!!Thanks Rajeev ji for being regular wid posts,...
DeleteDhoond hi leti hai mujhko dhoondne wali nazar,
Apne saaye ko haalanki la’pata rakhta hoon mein..!!
Regds
Awesome lines.....Dhoond hi leti hai mujhko dhoondne wali nazar,
DeleteApne saaye ko haalanki la’pata rakhta hoon mein..!!
Rituji,
Please be regular with your posts.....your blogs are so close to reality that life is re-lived to the fullest as soon as we read your expressions.
Thanks Madhumita ji for ur motivation n appreciation feelings behind d words,,,keep in touch further. Regds
DeleteRitu ji Superb.....
ReplyDelete"WHO?"
ReplyDeleteSab puchhtey hain,Koi to hoga..Humney kaha,,'Kaash ki koi hota...!
DeleteShidat-e-gham ko tabasum sey chupaney waley.!
ReplyDeleteDil ka raaz nigah’on sey bayaa’n hota hai..!!
Jaane kis baat ko kya samjh lein log....'Hamne honthon pe tabbsum sajana chhor diya..kyonki in nigahon ne dekhi hai khoob qayamat shab-e-tanhaai ki...!@Gauri
Deleteमसरूफ़ रहने का यह अंदाज़
ReplyDeleteकहीं तुझे तन्हा ना कर दे...
क्योंकि रिश्ते फुरसत के नहीं
तवज़्जो के मोहताज़ होते हैं... !
अभी सही में मसरूफ़ हूँ काफी,,'कि अब फुर्सत में ही सोचूंगा...;
Deleteके तुझको याद रखने में,,,'क्या क्या भूल जाता हूँ मैं??
Thanks Mr.Anonymous for being regular wid my posts,....
Regds