Wednesday, June 11, 2014

शाम के साये में ज़िंदगी अक्सर लिपट जाती है,
आस, फिर एक सुबह का लम्हा घटा जाती है..!
गौर कर रहे हैं गए दिनों से...;
अफ़साना ढूंढ़ना 
चाहता है दिल किसी रहगुज़र से;
ना जाने कौन सी आहटें बसीं हैं इन ख़्वाबों में..,
कि रातों को अचानक नींद सी उचट जाती है..!!
तारुफ़ जिन पलों का हम ज़िंदगी से ना कर सकें;
वो ख़ामोशी जिसे हंसी में ना उड़ा सके..;
ये दिल जो कभी रहा अपना हमदम,...
चुप गुम सा हो गया है,,'बोलना जिसका बाकी है!!
कहता है मेरा दिल...'मेरे एहबाब..;
हो कोई जो अब मेरे हर हाल से वाक़िफ़ हो..;
कोई,...'जो सुने मेरी उम्र भर का रियाज़ ...
सिमटे पलों की वो कहानी..'जो कहनी बाकी है.!!
उम्मीदों से परे' मुझे अब कोई तो ढूंढे..
...किसी की अब सोच-तलाश में रहे हरसूँ हम...
आते मौसम की रुत में जो दे  सुकून हस्सास पल...
..आफ़ताब की तरह जिनका मुस्कुराना बाकी है..!!.
कुछ ही अल्फ़ाज़ों में समेटा है मैने इन असफ़ज़ाई ख़्वाबों को..;
कि,,'अभी ज़िंदगी की  किताब में एहसासों की तफ़सीर बाकी है…!!

4 comments:

  1. Khyaal,,,,khwabon Ki hi tabish hote hain,,,.bahut umdaa likhaa..carry on.

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  2. Jaan Tak Dene Ki Baat Hoti Hai Yaha,
    Par Dua Tak Dil Se Nahi Dete Log...!!
    ..
    Aapne jo peskas ki he usme har wo aarzu dikhai deti he jo abhi bhi puri hone baki he..
    wo bhi "Umeedo se pare" he.
    kuch kahu??? do kadam tum aage badho .. Do kadam hum badhe.. fir dekho anjaam_e_kosis.

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    1. nice lines...aur bilkul durusut kaha tumney.....
      Thak sa gaya hoon main..
      Mujh se ab shayari nahin hoti,
      Mujhe lafzon ne maar daala hai..!!!
      be in touch Gauri n sori for late reply...

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