Sunday, June 29, 2014

आज बेवज़ह जो हँसे..,गुज़री बातों  पे अपनी..
जाने नादानी इस दिल की थी,'या भूल हुई कोई कहीं;
कि,..आँखों से छलक आये आंसू अभी अभी....!!
चले थे  घर से महफूज़  जानशीं सुकून के वास्ते,.
लगता है कि खो गयी है ज़माने में शराफत अब सभी!
..खाएंगे  फिर से फ़रेब,,सोचा था ना ऐसा कभी..;
फिर चोट खायी है दिल पे,...हुए वो सूखे ज़ख्म हरे.;
चिकने पत्थर पे  अब के फिसल गए.. नहीं ठहरे ,,,
....छलके थे  जो पलकों से अभी अभी...!!
हर बार कहते हैं...करते हैं बातें बड़ी  बड़ी..,
धोखे  की  शराफत में आ जाता है, कमबख्त जो कभी..;

.. नहीं करेंगे उस दिल के मशवरों पे अमाल अब कभी...!
उम्मीदों से परे’,..गुज़र गयी उम्र अब जिस तरह...
अब 
और धुंधली  निगाहों से ना बयाँ हो पाएगी,,;
ऐतबार  सिर्फ तेरा ही रह गया है धुँआ धुँआ सा..;
कुछ तो सुकून,वो ऐतबार दे ;'खुदा अपनी मौज़ूदगी का..;
साये में सिर्फ 'तेरे कटे ये रहगुज़र,,बची-कुची...हंसी खुशी.....!!!

10 comments:

  1. Uthlii gahraai ka sundar varnan. Keep it up.

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  2. चलो आज, एक वादा कर दूँ,
    कि तुम्हे कभी रोने न देंगे...
    माना कि है कठिन निभाना,
    पर टूटे न ये दुआ करेंगे...
    अब तो हंस दो मान भी जाओ,
    पोंछ लो आँखें जो नमी है बाकि...
    यूँ हमसे न रूठो ज़िन्दगी,
    अभी सफ़र बहुत लम्बा है बाकि...
    यूँ हमसे न रूठो ज़िन्दगी....

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    1. Nice lines Gauri,,,,n feel gd to catch feelings between d lines,,.Zindgi hai so guzar rahi hai,,.Warna hamko guzre Huey to zamane ho gaye..

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  3. माधुमिताJune 30, 2014 at 2:36 PM

    अत्यंत ह्रदयविदारक भावनात्मक प्रस्तुति के लिए अनेकानेक साधुवाद!

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  4. जिंदा हूँ मगर ज़िन्दगी से दूर हूँ मैं
    आज क्यूँ इस कदर मजबूर हूँ मैं
    बिना जुर्म के ही सजा मिलती है मुझे
    किस से कहूँ कि बेक़सूर हूँ मैं ....

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    1. thanks Anonymous,...for being regular with posts....aur khoobsurat alfaaz zindgi ke liye,...Iske baarey mein hum bhi aur kya kahein.....Ek tammnaa thee,..Ek taqaazaa bankar hi rah gayi hai!!
      do keep in touch n want to knw abt your Anonymoutiy,..if its your wish only,..
      wl wait for mail..regds..

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  5. Jab chote the hum to jor se rote the
    Jo pasand hota tha us paane ke liye
    Aaj bade hai to chupke se rote hain
    Jo pasand hain use bhulane ke liye

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  6. Zindagi tasveer bhi h aur takdeer bhi
    Fark to sirf rango ka hai,
    Manchahe rango se bane to tasveer
    Aur anjane rango se bane to takdeer

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    1. bahut khoob,....sahi farmaya aapne
      Chalo Ke Aaj zindgi ke sath Bachpan Ka Koi Khile Khelein,
      ....Bari Muddatt Hui Bewajah Hans kar Nahi Dekha..!!!
      Ujaaley apnî yadon k hamare saath rehne dein,..
      najane kis gali meni Zindgi ki §haaM Ho jaaiyein...!!!..

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