दर्द से गर दर्द मिले
....नए साल की शुभकामनाएं !!!!
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सुना है राहत होती है नसीब
कैफियत की रफ़ाक़तों में
आ जाते हैं कब अलफ़ाज़ करीब...;
आ जाते हैं कब अलफ़ाज़ करीब...;
यूँ तो कुछ मिलता नहीं
सिर्फ चाह लेने से इस ज़माने में
सिर्फ एहसास उम्मीदों से परे,'
सिर्फ एहसास उम्मीदों से परे,'
रह जाता है सिर्फ अफ़सानों में...!!!
गुज़रे इस बरस के साथ
ख़ुद से एक दरख़ास्त लिए
ख़ुद से एक दरख़ास्त लिए
कि ज़िंदगी के अधूरे ख़्वाब
अब और ना बिखरने देंगे किश्तों में..;,
ना कोई उम्मीद रखेंगे अपनों के साथ
ना कोई उम्मीद रखेंगे अपनों के साथ
कि,...वक़्त-बेवक़्त पूछेगा गर कोई सबब ,
आँखें नम ना करेंगे तब किश्तों में...!!
वो हताश सबर ,वो अफ़सरदा पल..;
मायने ,जिनका शोर गए बरस हसास रहा...,
आने वाली रुत में हो सब ..,नया नया सा..;
कि उम्मीदों से परे ,'गर तुझ मे कुछ नया है..,
तो दिखे अब हर बात नयी...
हर सुबह नयी,,,,,,फिर शाम नयी...
हर शय जहाँ से हसीं लगे....,
कि ,'ना रहे कुछ भी खोने का कोई डर,
....ख़ुद में झलके हर पल कुछ पाने की'...वो अदा नयी...............!!!!!!!!!