Thursday, December 4, 2014

वो इक़रार,,, कभी इंकार से गुज़रती 
हर बार  नए आज़ाब से उलझती ये  ज़िंदगी
वो वहशतें,शोर,,हंगामा जो बरपा है
दर्द की कैफियत वो ज़हन की रफ़ाक़तें...
इत्तेफ़ाकन फिर नए मोड़ पे लाती ये ज़िंदगी..
रस्ता बदल - बदल कर भी देखा...,
शख्स वो कब दिल में उतरकर ....
अपनी नज़र से जब नीलाम कर गया..;!
इनायतें मोहब्बत की हमें अपने करीब ले आई ..,
रूह शनास-सा ,,’वो मेरी ही तरह  बेख़बर लगता है..,
कुछ सोचूँ,,कहूँ तो शक़ हो वज़ूद पे उसके...
करूँ जब आँखें बंद तो यहीं आसपास लगता है...!
उम्मीदों  से परे',,हकीकत ,वो एक हसरत सी लगे..,
ख़्वाब में अक्सर नसीब होती वो दौलत सी लगे..,
बरसों के अधूरे ख़्वाब बन रहे थे हकीकत ,,,इत्तेफ़ाक़ से,,.,
हदें वो सबर की,. जब  तमाम कर गया....!!!
धूल भरे बीते शफ़ाफ़ मंज़र में'....;
रक़्स करती ज़िंदगी को,, वो कब चुपचाप से पढ़ गया….,
पढ़ गया,,,, तन्हाई,,बिखरे अल्फ़ाज़ों की वो किताब...
समेटने को जिसको फिर से ये दिल जुट  गया........!!!


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2 comments:

  1. Ishq main khawb ka khayaal kise,
    Na lagi aankh jab se aankh lagi hai.
    .Behtareen., Rituji. keep it up.

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  2. Welcome to the world of emotional river of ROMANCE.......
    LOVELY EXPRESSION OF SENSUAL FEELINGS ON ETERNAL ROMANCE in simple words!!!

    You are really Poetic personality.

    Keep it up!!!

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