भरोसा किस पर करें ,हर शाख पे उल्लू बैठा है,,,,!!!!!!!!!
यूँ तो जिंदगी को गुजारने के लिए किसी बहाने की ज़रूरत नहीं होती,..क्योंकि खुशियों के चलते जो गम मिलते रहते हैं, एक तजुर्बे के साथ गुज़र -बसर तो चलती ही रहती है..... लेकिन ख़ुशी के उन पलों पर एक गम का पल कब हावी हो जाता है,...एहसास ही नहीं होता,,,,,,तब भरोसा, दोस्ती, मोहब्बत्त और रिश्तों में असल फर्क का इल्म महसूस होता है, ...लगता है अब सब अफसाने झूठे हैं, सिर्फ एक हकीकत के सिवा!!!!!!!
दुनिया में उम्मीद से परे ,कोई "एक अपना" ढूँढते ढूँढते,भी
कब लोग दिलों से खेल कर, यूँ ही गुम हो जाते हैं,,,!??,
.,,,और;,
फिर उन्ही रंजिशों ,खलिश, हसरतों और दर्द के साथ .....,
जिंदगी न तो गुज़रती है और न ही बसर हो पाती है.,लेकिन ..
फिर भी रह जाते हैं जाने अनजाने,,,भूले-बिसरे कुछ चेहरे,,
और कहीं कोई एक शख्स ,सिर्फ ज़ुबानी किताब की तरह,,,,, !
कि..,कोई तन्हाई में गर हाल-ए-दिल पूछे भी ले तो ....,.
उस पल भरी पलकों के साथ खुद को बिखरा सा पाया है !!!!
यूँ तो जिंदगी को गुजारने के लिए किसी बहाने की ज़रूरत नहीं होती,..क्योंकि खुशियों के चलते जो गम मिलते रहते हैं, एक तजुर्बे के साथ गुज़र -बसर तो चलती ही रहती है..... लेकिन ख़ुशी के उन पलों पर एक गम का पल कब हावी हो जाता है,...एहसास ही नहीं होता,,,,,,तब भरोसा, दोस्ती, मोहब्बत्त और रिश्तों में असल फर्क का इल्म महसूस होता है, ...लगता है अब सब अफसाने झूठे हैं, सिर्फ एक हकीकत के सिवा!!!!!!!
दुनिया में उम्मीद से परे ,कोई "एक अपना" ढूँढते ढूँढते,भी
कब लोग दिलों से खेल कर, यूँ ही गुम हो जाते हैं,,,!??,
.,,,और;,
फिर उन्ही रंजिशों ,खलिश, हसरतों और दर्द के साथ .....,
जिंदगी न तो गुज़रती है और न ही बसर हो पाती है.,लेकिन ..
फिर भी रह जाते हैं जाने अनजाने,,,भूले-बिसरे कुछ चेहरे,,
और कहीं कोई एक शख्स ,सिर्फ ज़ुबानी किताब की तरह,,,,, !
कि..,कोई तन्हाई में गर हाल-ए-दिल पूछे भी ले तो ....,.
उस पल भरी पलकों के साथ खुद को बिखरा सा पाया है !!!!
Shayad jindgi ka asli naam hi sukh dukh ki kahani hai. Log matlab k liye rishte banate hai, or jab swarth sidh ho jata hai tab chale jate hai. Wo ye nahi sochte ki samne wale ke dil par, uske ehsaaso par kya gujaregi. Par hume ye soch kar nahi gutna chahiye ki usme hame dard diya, hume khush rehna chahiye ki hum sache the.. Hamara apnapan sacha tha.
ReplyDelete...exactly,,,I agree!!!!!!!
Deleteसर के बल आऊँ तेरे घर मैं तो लेकिन इस से क्या
ReplyDeleteतू मिला न राह में तो फ़ासला रह जायेगा
चुप्पियाँ रह जाएँगी, रह जाएँगी तन्हाईयाँ
तेरे जाने पर भी यों तो घर बसा रह जायेगा
वो चले जायेंगे तूफाँ, में भी अपने काम पर
और कोई घर के अन्दर काँपता रह जायेगा
Koi PaThther sa Dil ho ab,,,,
DeleteKi Insaanon main jeena hai !!
चेहरे पर मरने वाले हज़ार मिल जायेंगे,
Deleteकुछ लोग हर ज़रुरत पूरी भी कर जायेंगे,
ख्वाइश है उसकी जो दिल से समझे हमें,
हम तो ज़िन्दगी भी उसके नाम कर जायेंगे....
मुझे ऐसा लग रहा है कि आप जीवन के वर्तमान सोपान में इस तरह की भावनाएं मन में रख कर लेखन को गतिमान कर रही हैं! व्यक्तिगत टिप्पणी के लिए क्षमा याचना!
...great unspoken feelings!!!!!
ReplyDeleteहम क्या मांगते हैं...... और क्या मिलता है!
ReplyDeleteसब शायद ईश्वर अपने हाथ में रखते हैं!
जीवन बहुत ही जटिल समझा जाता रहा है पर जीवन का अंत होने तक इसके हर सोपान को जीना पड़ता है! हर घटना से नया कुछ सीखने को मिलता है और निरंतर सीखना ही जीवन है!
आपके ब्लॉग का शीर्षक "उम्मीदों से परे" है|इस लेख में उम्मीदें - जीवन का यथार्थ, बहुत प्रबल रूप से प्रकट होती प्रतीत हो रही हैं! सराहनीय प्रस्तुति!
Very emotional expression of emotions. I would like to say - regarding your maturing speed in impressive expression -
ReplyDeleteNazar ko nazar ki khabar na lage,
Koi accha bhi is kadar na lage,
Aapko dekha hai bas us nazar se,
Jis nazar se aapko nazar na lage…!
jindgi meinjaroori nhi ki her pal ek jesa ho,,per kuchh pal hme sukh dene ke liye aate hein..ab hum per hai unhe apnaye ya nahi
ReplyDeleteTrue Love Describes This.
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