लेकिन किसी अपने को बेवजह याद करने की आदत अब भी बरकरार है”
मेरा कुत्ता "विस्की"..अचानक बहुत बीमार हुआ,...१० महीने में ३ बार, लेकिन उस मूक जानवर से इतना ज्यादा प्रेम... कि बच्चों के विवश करने पर, रात ११ बजे न चाहते हुए भी डॉक्टर के पास ले गए ......., वो सिर्फ बिना कुछ कहे, पर एक उम्मीद से अपने शारीरिक व्यव्हार से ही अपनी परेशानी दिखा रहा था,....और सिर्फ १० महीनो में इतना लगाव, कि मैं उसको डॉक्टर के पास ले जाकर ही अपने आप को तस्सल्ली दे पाई| घर आकर मन उसके लिए बहुत खुश था, और अपने लिए ग्लानि से भरा कि हम कभी कभी जिंदगी में दोस्तों और रिश्तों को बेपनाह मोहब्बत देने के बावजूद,.... अपना सर्वस्व देने के बाद भी,.... कुछ भी जताने लायक भी नहीं होते कि.... वो हमें टूट कर प्यार करना तो दूर .... सिर्फ समझ ही ले... जिनको हम जिंदगी भर अपना मान कर चलते हैं???
कभी कभार ऐसा लगता है कि काश! ,..रिश्ते या दोस्ती भी ऐसे ही होते....जैसे कि जानवरों का प्यार या फिर गणित के वो फार्मूले,' जो जहाँ जरुरत हो ,.... फिट करो और समस्याओं को एक दम हल करो ......मतलब कि.....किसी और तर्क की जरुरत ही न पडे......!!!!
क्योंकि कभी कभी जब सब कुछ बिगड़ता है तो मन व्यथित हो पड़ता है इन सब बातों से,... कभी कभार लगता है की सभी ने हमारे धैर्य को केवल आज़माया ही है.,अपनाया कभी नहीं??
... और हर धैर्य की एक सीमा जरुर होती है ...,.पर इन्तहा नहीं!!!!
और समय के साथ ये धैर्य भी हमें चिकने घड़े की तरह बना देता है जिस पर किसी भी भावनात्मक या भावनारहित कथनों का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता .... और कभी एक ऐसे मोड़ पर जिंदगी ले आती है कि चाहे फिर आगे .... उम्मीदों से परे भी....., गर कोई प्यार से देखता या समझता भी है तो,,,,,,.. तो आँखें हमेशा पुर-नम ही रहती हैं,,,, जिनमें केवल रह जाता है एक बिखरेपन का एहसास और एक अनकहा अविश्वास!!!!
मेरा कुत्ता "विस्की"..अचानक बहुत बीमार हुआ,...१० महीने में ३ बार, लेकिन उस मूक जानवर से इतना ज्यादा प्रेम... कि बच्चों के विवश करने पर, रात ११ बजे न चाहते हुए भी डॉक्टर के पास ले गए ......., वो सिर्फ बिना कुछ कहे, पर एक उम्मीद से अपने शारीरिक व्यव्हार से ही अपनी परेशानी दिखा रहा था,....और सिर्फ १० महीनो में इतना लगाव, कि मैं उसको डॉक्टर के पास ले जाकर ही अपने आप को तस्सल्ली दे पाई| घर आकर मन उसके लिए बहुत खुश था, और अपने लिए ग्लानि से भरा कि हम कभी कभी जिंदगी में दोस्तों और रिश्तों को बेपनाह मोहब्बत देने के बावजूद,.... अपना सर्वस्व देने के बाद भी,.... कुछ भी जताने लायक भी नहीं होते कि.... वो हमें टूट कर प्यार करना तो दूर .... सिर्फ समझ ही ले... जिनको हम जिंदगी भर अपना मान कर चलते हैं???
कभी कभार ऐसा लगता है कि काश! ,..रिश्ते या दोस्ती भी ऐसे ही होते....जैसे कि जानवरों का प्यार या फिर गणित के वो फार्मूले,' जो जहाँ जरुरत हो ,.... फिट करो और समस्याओं को एक दम हल करो ......मतलब कि.....किसी और तर्क की जरुरत ही न पडे......!!!!
क्योंकि कभी कभी जब सब कुछ बिगड़ता है तो मन व्यथित हो पड़ता है इन सब बातों से,... कभी कभार लगता है की सभी ने हमारे धैर्य को केवल आज़माया ही है.,अपनाया कभी नहीं??
... और हर धैर्य की एक सीमा जरुर होती है ...,.पर इन्तहा नहीं!!!!
और समय के साथ ये धैर्य भी हमें चिकने घड़े की तरह बना देता है जिस पर किसी भी भावनात्मक या भावनारहित कथनों का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता .... और कभी एक ऐसे मोड़ पर जिंदगी ले आती है कि चाहे फिर आगे .... उम्मीदों से परे भी....., गर कोई प्यार से देखता या समझता भी है तो,,,,,,.. तो आँखें हमेशा पुर-नम ही रहती हैं,,,, जिनमें केवल रह जाता है एक बिखरेपन का एहसास और एक अनकहा अविश्वास!!!!
Aati khubsurat...
ReplyDeletePehli bar aisa hua hai ki mere pass kehne ke liye kuch shabd nahi hai.. Nishabd,..or ye to aap samaj hi sakti hai ke me q nishabd hu :)
ReplyDeleteअति सुन्दर!
ReplyDeleteजीवन में घटित वास्तविक घटना को ह्र्दयस्पर्शी अनुभवों से जोड़ कर बहुत ही अच्छा वर्णन किया है! लेखन को लेकर आपकी परिपक्वता का विकास उल्लेखनीय है| मैं बहुत उत्साही हो कर आपको मुबारकबाद देती हूँ!
Really touching expression of inner feelings. Expression of feelings is necessary in everybody's life so that we and others could understand each other's desires, likings, dislikings, expectations etc. It is sad but it is fact of life that human beings are capable of learning the unknown languages of different species of animals, birds, fishes etc. but most of the times fail to understand the language of expression of our own species i.e. human beings.
ReplyDeleteActually Relationships are similar to Maths, just find out the formulas for diff relationship.
ReplyDeleteजान कर प्रसन्नता हुई कि रिश्तों का भी गणित होता है! इतनी उम्र पार करने के बाद भी रिश्तों का गणित और उसके सूत्र (फोर्मुले) समझ न आ सके! अगर आप इस विषय पर कुछ और प्रकाश कुछ उदाहरण के साथ देने का कष्ट करें तो शायद मैं भी अपने जीवन में अपनी जटिलताओं का बेहतर तरीके से सामना कर सकूं.
ReplyDeleteवही फ़साने ... वही कहानियाँ ... मिलेंगी हमेशा मुझमें .... मैं कोई अखबार नहीं जो रोज़ बदल जाऊं ...
ReplyDeleteexactly..........hakikat kabhi nahi badalti!!!
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