स्पर्श.............,...एक अनकहा स्पर्श ,,,,बेइंतहा याद
करते हैं इस
स्पर्श को....कभी
एक मीठी सी
मुस्कान के साथ,तो कभी
एक कड़वाहट के
साथ भी...........लेकिन
एक स्पर्श ,..........जिसमें
मिठास ,या नीम
की तरह कड़वाहट
भी होती है,.....लेकिन सिर्फ
उसी का स्पर्श
हमेशा एक टीस
के साथ,मार्मिक
तरीके से दिल-दिमाग पे
रहता है...... वो
"उमीद्दों से परे
हाथ"......,,
मेरे बचपन से कई सालों तक मेरे सर पे एक मोहब्बत भरा हाथ था,,
गम-ख़ुशी में,प्यार-तकरार में,या फिर अंधेरों में जो हाथ थामें मेरा हर घड़ी साथ था....,
कभी जब भाग जाए मेरी नींद अचानक ख़ौफ़ से और अपने ही कमरे में तन्हा मुझे डर लगे,,,,,,,
एक आवाज़ जिस पर यकीं था मुझे ...,मुझसे चुपके से कहती थी,..'डरना नहीं...,
"देखो मैं पास हूँ,यहीं -कहीं हूँ,...ऐसा लहज़ा हुआ करता था ....!!!!!!!
जैसे की उसकी इस लहजे से सारे ज़ख्मों को मलहम लग जाया करता था,,...
लेकिन जब आज मैं परेशान हूँ,तनहा हूँ....कितनी रातों की जागी हुई हूँ,
आँखें भी जैसे पथरा सी गयी हैं, और जिस्म भी दर्द से चूर है...
ज़हन सोचों से कशमकश में है और दिल ज़्यादा ही रंजूर है?????
और आज ,अब वो हाथ मुझसे कोसों बहुत ......'बहुत...बहुत ... दूर हैं '...!!
तब भी पता नहीं की इसी इंतज़ार में हूँ कि माथे पे मेरे इक हथेली धरे...,
और धीरे से लहजे में मुझसे ये कहेंगे कि 'ऐसे घबरा मत"..देख मैं तेरे साथ हूँ"..
शायद ऐसी बातों पे शायद मैं यक़ीन ना करूँ,,पर बहल ज़रूर जाऊँगी,,,,
और फिर....कब उसी हाथ को थामे सो जाउंगी...........................................??
मेरे बचपन से कई सालों तक मेरे सर पे एक मोहब्बत भरा हाथ था,,
गम-ख़ुशी में,प्यार-तकरार में,या फिर अंधेरों में जो हाथ थामें मेरा हर घड़ी साथ था....,
कभी जब भाग जाए मेरी नींद अचानक ख़ौफ़ से और अपने ही कमरे में तन्हा मुझे डर लगे,,,,,,,
एक आवाज़ जिस पर यकीं था मुझे ...,मुझसे चुपके से कहती थी,..'डरना नहीं...,
"देखो मैं पास हूँ,यहीं -कहीं हूँ,...ऐसा लहज़ा हुआ करता था ....!!!!!!!
जैसे की उसकी इस लहजे से सारे ज़ख्मों को मलहम लग जाया करता था,,...
लेकिन जब आज मैं परेशान हूँ,तनहा हूँ....कितनी रातों की जागी हुई हूँ,
आँखें भी जैसे पथरा सी गयी हैं, और जिस्म भी दर्द से चूर है...
ज़हन सोचों से कशमकश में है और दिल ज़्यादा ही रंजूर है?????
और आज ,अब वो हाथ मुझसे कोसों बहुत ......'बहुत...बहुत ... दूर हैं '...!!
तब भी पता नहीं की इसी इंतज़ार में हूँ कि माथे पे मेरे इक हथेली धरे...,
और धीरे से लहजे में मुझसे ये कहेंगे कि 'ऐसे घबरा मत"..देख मैं तेरे साथ हूँ"..
शायद ऐसी बातों पे शायद मैं यक़ीन ना करूँ,,पर बहल ज़रूर जाऊँगी,,,,
और फिर....कब उसी हाथ को थामे सो जाउंगी...........................................??
beautiful....
ReplyDeletethanx..............Gumnaam!!!!!!!
Deleteaaj maa bohat yaad aai ,pata nahi kahan hai woh ,kaisi hai woh ,gar aa na sake tou apne paas bula le
ReplyDeleteki is bereham duniya mein bohat tanha hain hum .....................
dear Ritu bohat achcha ....chalo ab aansuon ko peelen.............
........i also missng my Mom too much.. and thnx Madhu to feel the words from inside by heart....luv u!!!!!!!
Deleteदर्द को समेटे हुए एक अहसास !
ReplyDeleteshukriya Ashvini Sir,...shabdon ke ehsaas ko samteney aur nirantar juney ke liye!!!!
Deleteदीर्घ अंतराल के बाद आपके ममतामयी संवेदना से भरपूर लेख को पढ़ कर आँखे नम हो गयीं! भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद!
ReplyDeleteDear,
ReplyDeleteI recollect a song related to your expression:
www.youtube.com/watch?v=ggRpInuAMmE
song from jagriti movie... Chalo Chale maa... sapno ke gaaon mein....
Its touching. Keep it up