Monday, August 26, 2013

जिंदगी एक बार थक कर सी गिरती महसूस होती है,,
जहाँ रिश्तों से चाहतों की तमन्ना, सिर्फ दर्द बन जाए;;
तन्हाई में अजीब सा हाल हुआ है गुज़रे हुए वक़्त से ,,
आँखों में नमी और दिल बेचैन है उन रिश्तों से ?????
वक़्त के रहते उन्ही रिश्तों की नज़रों को बदलते देखा है
एक उम्मीद भरी मिठास को ,.आज फ़ीका होते देखा है,,,!!!
जिनमें कभी उम्मीदों से परे..मासूम,..निश्छल प्यार रहता था,      
उनके रंग बदलते ,...अब अपने आप को बिखरते देखा है.??
लगता है सच में अब रिश्तों और ज़ज़बातों का कोई मोल नहीं,.
ख़ामखा ढोए जा रहे हैं जिनका कोई तोल  ही नहीं????
काश! ऐसा हो कि…रिश्तों का ये बोझ यहीं दिल से छोड़ दें,,
आज़ाद हो जाएँ अपनों की उस उम्मीद,प्यार के मोड़ से,...
कभी गैर मौज़ूदगी में तो क्या.....
मौज़ूदगी में भी जिन्होने ,..
अपनाना तो दूर,..अपनेपन का एहसास तक ना दिलाया दिल से!!!
तमाम उम्र अपनेपन  का मलाल रहा अब मुझे सिर्फ ज़िंदगी से,,
तो  शिकायत  भी अपने अलावा..,,अब और क्या करें किसी से???

Thursday, August 15, 2013

आज़ादी,...दिल -दिमाग, रोने -हंसने,.ख्वाइश-जिद्द करने की;
रह गयी उम्मीद से परे आज़ादी, सिर्फ उस 
मासूम बचपन की! 
आज लगा कि तन्हाई में,उस खिलोने की तरह यादों से खेलूं
Happy Independence Day
.....,,कई दिन हुए बेवजह ,.मुस्कुराकर  नहीं देखा???
बचपन की उस बात पे कितना यकीं था,जो अक्सर माँ कहती थी....,
.,,,कि... उन दिनों 'चाँद' पर परियाँ रहा करती थीं !!!
जब सावन में अक्सर पेड़ कि डालियाँ बोझ हमारा सहती थीं ...,
जब हर गली से "आओ खेलें" की हुंकार आया करती थी ....,
अक्सर वो शाम भी छत पर चंचल सी हुआ करती थी
हर छोटी बात पर आखोँ से नदिया बहा करती थी,.!!!
वो बचपन के ही दिन कितने अच्छे हुआ करते थे ,...
तब दिल नहीं,,,सिर्फ खिलौने ही टूटा करते थे..??
जिसके लिए हम दिल भर के  बे-वज़ह रोया करते थे,....
और बिना उम्मीद के ही कब खुद ही चुप हो जाया करते थे,,!!
जाने किस कशमकश,,बेकरारी में अब हम-तुम जो बडे हुए,,
जो अब ख़ुशी तो क्या,,,रंज में भी आंसू हमसे दूर हुए… ???



Thursday, August 8, 2013


मेरे बारे में  सब कुछ ....समझते हो तुम,,,
HAPPY FRIENDSHIP DAY!!!!
अच्छी बुरी जैसी भी हूँ,,, महसूस करते हो तुम,,,
दिल दिमाग से हरदम संग रहते हो तुम,,,
उलझन मेरी सब समझकर उलझते हो तुम!!!
लगता है.,सब जानकर, अनजान नहीं हो तुम.???
मन में कभी गुथी-सुलझी पहेली,,के बावजूद....,
हमेशा
 मेरे साथ हकीकत से परे रहे हो तुम...!!!
ऐतबार जब उलझन में कभी खुद पर नहीं रहा..??
उसी ऐतबार, यकीं,..के साथ हरदम साथ हो तुम..!
कभी तुमसे दूर होने के बाद,,जब एहसास हुआ कि
तुम नहीं होते थे,
 तुम्हारे साथ एक दुनिया  होती थी.;
तब उसी तर्क, रुठन, और आँसूओं के बावजूद भी..,
एक जरुरत बनकर हमेशा दिल में रहे हो तुम..!
ख़ुदा से दुआ है.... मुहब्बत भरी ये  हमारी  दोस्ती* ....
बेशर्तीय, 'उम्मीद से परे'...निभाएँ हम अपनी दोस्ती

............नाकि कभी आज़माएँ अपनी दोस्ती????

*Dedicated to: My Dear Baljeet, Priyanka, Saroj and Devika!




Saturday, August 3, 2013

कभी एक पल का एहसास बनकर आना,,,तो कभी दूसरे ही पल ख्वाबों में आकार उड़ जाना,,,
इन यादों को पता है तन्हाईओं से डरते हैं हम,.तब भी वक़्त बेवक्त  साथ  देने चले आती हैं!!
कभी लगता है,... कि कभी यादों कि कोई एक शाम ढले,,,
कोई हाथ में थामे हाथ मेरा....बस चुप से मेरे साथ चले???
कभी एक पल बैठे मेरे पहलू में,,,,उस हाथ पे मेरा हाथ धरे,,
और कब धीरे से ये बात कहे,..कि यूँ तनहा सफ़र कटता  नहीं....
चलो अब हम भी तुम्हारे साथ चले???
आज बेजुबान ख़्वाबों को जब जुबां मिली .,,,तब  ,..
  वक़्त ,..तेरे हुकुम की  मानी जाए कहाँ तक???
उम्मीद से परे,रोज़ नए शब्द ,नयी सोच,,नयी बात कहाँ तक??
अब आखिर खुद को करे कब तक कोई तब्दील कहाँ तक ??
जब सुनने  सुनाने के लिए कोई आस पास रहगुज़र नहीं??
लगता है,...अब इस धूप  में हो इंतज़ार और  कहाँ  तक??
वक़्त-बेवक्त हवाओं का रुख बदल बदल कर जब  सामने से रहा हो ,,,
..........
सफर में सिवाय साए के मेरे देगा और कोई साथ कहाँ तक????