जिंदगी एक बार थक कर सी गिरती महसूस होती है,,
जहाँ रिश्तों से चाहतों की तमन्ना, सिर्फ दर्द बन जाए;;
तन्हाई में अजीब सा हाल हुआ है गुज़रे हुए वक़्त से ,,
आँखों में नमी और दिल बेचैन है उन रिश्तों से ?????
वक़्त के रहते उन्ही रिश्तों की नज़रों को बदलते देखा है
एक उम्मीद भरी मिठास को ,.आज फ़ीका होते देखा है,,,!!!
जिनमें कभी उम्मीदों से परे..मासूम,..निश्छल प्यार रहता था,
उनके रंग बदलते ,...अब अपने आप को बिखरते देखा है.??
लगता है सच में अब रिश्तों और ज़ज़बातों का कोई मोल नहीं,.
ख़ामखा ढोए जा रहे हैं जिनका कोई तोल ही नहीं????
काश! ऐसा हो कि…रिश्तों का ये बोझ यहीं दिल से छोड़ दें,,
आज़ाद हो जाएँ अपनों की उस उम्मीद,प्यार के मोड़ से,...
कभी गैर मौज़ूदगी में तो क्या..... मौज़ूदगी में भी जिन्होने ,..
अपनाना तो दूर,..अपनेपन का एहसास तक ना दिलाया दिल से!!!
तमाम उम्र अपनेपन का मलाल रहा अब मुझे सिर्फ ज़िंदगी से,,
तो शिकायत भी अपने अलावा..,,अब और क्या करें किसी से???
जहाँ रिश्तों से चाहतों की तमन्ना, सिर्फ दर्द बन जाए;;
तन्हाई में अजीब सा हाल हुआ है गुज़रे हुए वक़्त से ,,
आँखों में नमी और दिल बेचैन है उन रिश्तों से ?????
वक़्त के रहते उन्ही रिश्तों की नज़रों को बदलते देखा है
एक उम्मीद भरी मिठास को ,.आज फ़ीका होते देखा है,,,!!!
जिनमें कभी उम्मीदों से परे..मासूम,..निश्छल प्यार रहता था,
उनके रंग बदलते ,...अब अपने आप को बिखरते देखा है.??
लगता है सच में अब रिश्तों और ज़ज़बातों का कोई मोल नहीं,.
ख़ामखा ढोए जा रहे हैं जिनका कोई तोल ही नहीं????
काश! ऐसा हो कि…रिश्तों का ये बोझ यहीं दिल से छोड़ दें,,
आज़ाद हो जाएँ अपनों की उस उम्मीद,प्यार के मोड़ से,...
कभी गैर मौज़ूदगी में तो क्या..... मौज़ूदगी में भी जिन्होने ,..
अपनाना तो दूर,..अपनेपन का एहसास तक ना दिलाया दिल से!!!
तमाम उम्र अपनेपन का मलाल रहा अब मुझे सिर्फ ज़िंदगी से,,
तो शिकायत भी अपने अलावा..,,अब और क्या करें किसी से???