वो दिन के चहकते उजालों,,,,'उन शाम के खौफ अंधेरों में .....,
वो अंदर का सहमा सा चेहरा,...’अपनी तन्हाइयों से बात की है;..
बेसबब सन्नाटों में शोर इतना,.'अक्सर सुन पाते दिल की कुछ नहीं!
ज़िंदगी ने सब कुछ है दिया,...एहसास क्यों अब होता तक नहीं....;?
उसको क्या खबर मेरे दिल की,...'क़ि अब तक उसके बगैर,...;
ज़िंदगी तो अब तक कट रही है,.. लगता है,'जिया कुछ नहीं??
कभी ख्यालों में आया ,,कि उसके सिवा, गर मांगू...
हाथ तो दुआ में उठेंगें ,..ज़हन में होगी अब दुआ कुछ नहीं...!!!
उम्मीदों से परे',,वो रतजगे अब कर लिए हैं जो कबूल,...
चाहतों में कभी एक पल का जगना, लगता अब कुछ भी नहीं???
देखे गर कोई मोहब्ब्त से,...जाने दिल भी अब धड़कता है,'कि नहीं?
इसका सबब भी इन दिनों अब खुद पता लगता ,.. कुछ नहीं..??
ना जाने क्यों ढूंढ़ते फिरते हैं,..परछाईओं में कहानी अपनी....
तन्हाइयों से गुफ़तगू के सिवा,...;....,'रहा जब कुछ भी नहीं !!!!!
वो अंदर का सहमा सा चेहरा,...’अपनी तन्हाइयों से बात की है;..
बेसबब सन्नाटों में शोर इतना,.'अक्सर सुन पाते दिल की कुछ नहीं!
ज़िंदगी ने सब कुछ है दिया,...एहसास क्यों अब होता तक नहीं....;?
उसको क्या खबर मेरे दिल की,...'क़ि अब तक उसके बगैर,...;
ज़िंदगी तो अब तक कट रही है,.. लगता है,'जिया कुछ नहीं??
कभी ख्यालों में आया ,,कि उसके सिवा, गर मांगू...
हाथ तो दुआ में उठेंगें ,..ज़हन में होगी अब दुआ कुछ नहीं...!!!
उम्मीदों से परे',,वो रतजगे अब कर लिए हैं जो कबूल,...
चाहतों में कभी एक पल का जगना, लगता अब कुछ भी नहीं???
देखे गर कोई मोहब्ब्त से,...जाने दिल भी अब धड़कता है,'कि नहीं?
इसका सबब भी इन दिनों अब खुद पता लगता ,.. कुछ नहीं..??
ना जाने क्यों ढूंढ़ते फिरते हैं,..परछाईओं में कहानी अपनी....
तन्हाइयों से गुफ़तगू के सिवा,...;....,'रहा जब कुछ भी नहीं !!!!!
तिस पर भी,' इस ज़िन्दगी के खट्टे मीठे पन्ने पलटने के बाद...,
तन्हाईओं से परे भी,'..एक चाहत ज़हन में हरदम हुई है ,.;
उम्मीदों से परे भी ,'छूती है बेख़बर ,जो मुझे हल्के सरग़ोशी से..;
...'ज़िन्दगी के वही पन्ने पलटने के बाद ,'महसूस हुई है ,...;
तो,','ए ज़िन्दगी !! आ कि अब और अभी से नया तज़ुर्बा करें....
तो,','ए ज़िन्दगी !! आ कि अब और अभी से नया तज़ुर्बा करें....
......,कि,'दिल अब भूलना चाहता है ,'वो रुख़ी तसल्लियाँ और पुरानी कहानियाँ ...... !!!!??