तबस्सुम,,शोख़ तो कभी तरन्नुम सी ज़िंदगी;
मोहब्बत,दर्द 'तो इबादत से भरी ये ज़िंदगी;
तमन्नाओं,ख़्वाबों से परे..'उल्फ़त..कभी;
..रफ़ाक़त ,,,कभी तक़ाज़े से भरी ज़िंदगी!!
उम्मीदों से भरी, अनकही पहचानों से लेस;
बारिशों की उन छलकती बूंदों में बेख़टक..;
उमंग भरे एहसासों में सिमटती ये ज़िंदगी ;
लड़कपन-सी ज़िद्द करती,मचलती, 'इतराती
फिर ख़ुद-ब-ख़ुद.संभलती,,'सवंरती ये ज़िंदगी;;
...कशमकश की हसीं लड़ियों में एहसास हुआ...
अपनी,,आवारगी, वो बेरुख़ी,,,बेख़ुदी...
बे-लौस मोहब्बत से भरपूर वो ख़ामोशी..;
वो सुकून की तलाश..'आलम-ए-तन्हाई,,;
..पलकों में लिए वो हरदम नींद का बोझ ;;
उम्मीदों से परे,वो अधूरे बिखरे ख्वाइशों ;;
उनकी तकसीर...मुकम्मल करती ये ज़िंदगी ;
शहर जो एक मुद्द्त से अपने हाल से वाक़िफ़ है...
..कहता है हमसे कि 'आरज़ुएँ फ़िज़ूल होती हैं...
...हर किसी पे इख्तियार होती नहीं..;;
..धड़कनें हरदम बा-उसूल होती हैं..
..'पलभर में पूर्ण विराम लेती फिर ज़िंदगी...;
काश!! अपने शहर में होते तो घर चले जाते.........!!!!!
मोहब्बत,दर्द 'तो इबादत से भरी ये ज़िंदगी;
तमन्नाओं,ख़्वाबों से परे..'उल्फ़त..कभी;
..रफ़ाक़त ,,,कभी तक़ाज़े से भरी ज़िंदगी!!
उम्मीदों से भरी, अनकही पहचानों से लेस;
बारिशों की उन छलकती बूंदों में बेख़टक..;
उमंग भरे एहसासों में सिमटती ये ज़िंदगी ;
लड़कपन-सी ज़िद्द करती,मचलती, 'इतराती
फिर ख़ुद-ब-ख़ुद.संभलती,,'सवंरती ये ज़िंदगी;;
...कशमकश की हसीं लड़ियों में एहसास हुआ...
अपनी,,आवारगी, वो बेरुख़ी,,,बेख़ुदी...
बे-लौस मोहब्बत से भरपूर वो ख़ामोशी..;
वो सुकून की तलाश..'आलम-ए-तन्हाई,,;
..पलकों में लिए वो हरदम नींद का बोझ ;;
उम्मीदों से परे,वो अधूरे बिखरे ख्वाइशों ;;
उनकी तकसीर...मुकम्मल करती ये ज़िंदगी ;
शहर जो एक मुद्द्त से अपने हाल से वाक़िफ़ है...
..कहता है हमसे कि 'आरज़ुएँ फ़िज़ूल होती हैं...
...हर किसी पे इख्तियार होती नहीं..;;
..धड़कनें हरदम बा-उसूल होती हैं..
..'पलभर में पूर्ण विराम लेती फिर ज़िंदगी...;
काश!! अपने शहर में होते तो घर चले जाते.........!!!!!
Khoobsurtu se sajayi Hui shabdon Mein ye zindgi,keep it up.
ReplyDeleteकुछ लम्हे, कुछ बातें, और कुछ लोग, ज़िन्दगी का रुख बदल देते हैं,
ReplyDeleteपल भर में आँसुओं को प्यार की पहली बारिश में बदल देते हैं ..... !!
Bah Gaya waqt ke sailaab Mein Wo bhi aakhir,..'Ek lamha Jo guzarne Mein thaa saidiyon jaisa..! Be in touch regular,,Gauri...
Deleteएक दंश है कहीं
ReplyDeleteचुभता सा,
कि तेरे सच से
मैं अनजान नहीं,
या तो तू मुझे
बावरी समझता है,
या ख़ुद तुझे
तेरे झूठ की पहचान नहीं..
Bahut khoob farmayaa,,,aur kahin tak hakilat bhi...!
Deleteजिंदगी के कई पहलुओं, उमंगों और उम्मीदों को बहुत ही सरलता से उल्लेखित किया है आपने लेकिन अंत में एक आस सी छूटती-टूटती सी नज़र आई ..........लेकिन सत्यता के निकट है |
ReplyDeleteठीक कहा आपने राजीव जी,...उम्मीदों के परे....आस अक्सर सत्यता के निकट ही महसूस होती है...
Deleteनिरंतर जुड़ने के लिए शुक्रिया
.
ख़ामोश निगाहें ये सुनाती हैं कहानी
ReplyDeleteलो आज चली ठोकरें खाने को जवानी
ये मान लिया पंछी
ये मान लिया काट लिये पर हैं किसी ने
पर दिल की कहानी तो है पिया को सुनानी
हर सू है अन्धेरा तो दिया इक भी जले क्यूँ
फूटी हुई क़िसमत को है अब ठोकरें खानी
शायद ये तेरे उजड़े हुए दिल की है तसवीर
पानी की रवानी में चिराग़ों की रवानी
- अज्ञात
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ...शुक्रिया' अज्ञात निरंतर जुड़ने के लिए...!!!
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