आज अंदाज़-ए-मिज़ाज़ मेरा कुछ जुदा-सा लगे
किताब का वो मुड़ा वरक़ यूँ छोड़ने का जी करे;
आज बिखरे पलों में मिली जो फ़ुरसत..
कब आकर टकराईं वो अजनबी आँखें उसकी..;
वो शोख़ निग़ाहें उसकी वो मुसलसल चेहरा मेरा;
किताब का वो मुड़ा वरक़ यूँ छोड़ने का जी करे;
आज बिखरे पलों में मिली जो फ़ुरसत..
कब आकर टकराईं वो अजनबी आँखें उसकी..;
वो शोख़ निग़ाहें उसकी वो मुसलसल चेहरा मेरा;
उस ख़ामोशी में गूँजती वो तर्क-ए-गुफ़्तगु उसकी;
मेरी शायरी में एक ग़ज़ल मुक़्क़मल करती हुई;
कुछ पलों में कहती,'वो अनकही कहानी उसकी.!
तार्रुफ़ में कब हुए करीब,'तो सवाल-जवाब करती;
….वो महताब-ए-जुनून बातें उसकी.....!!
आँख-कानों से छिपा ..वो खूबसूरत अफ़साना..;
कि चंद पलों में सिमटते वो बे-लूस अलफ़ाज़ उसके..!
आज मुझे देखकर यूँ कहने लगे मेरे एहबाब’…;
तनहा होकर भी आज चहरा क्यों आफ़ताब सा लगे..,!
कुछ तो हुआ है या ‘कहाँ की बात है ज़ानिब ..;
कि पुराने दरख्तों के परे दम निकलता सा लगे..;
…कि जी चाहे अब...उन अश्कों, यादों के परे
‘कोई हो जो बिखेरे,,,,अब छिटकती चांदनी मेरे हिस्से की..;
…कि ज़िंदगी के आते सफर में ....उम्मीदों से परे'
… अब उन बिखरे ख़्वाबों,,ख्वाइशों का इन्तख़ाब होता सा लगे ....!!!
मेरी शायरी में एक ग़ज़ल मुक़्क़मल करती हुई;
कुछ पलों में कहती,'वो अनकही कहानी उसकी.!
तार्रुफ़ में कब हुए करीब,'तो सवाल-जवाब करती;
….वो महताब-ए-जुनून बातें उसकी.....!!
आँख-कानों से छिपा ..वो खूबसूरत अफ़साना..;
कि चंद पलों में सिमटते वो बे-लूस अलफ़ाज़ उसके..!
आज मुझे देखकर यूँ कहने लगे मेरे एहबाब’…;
तनहा होकर भी आज चहरा क्यों आफ़ताब सा लगे..,!
कुछ तो हुआ है या ‘कहाँ की बात है ज़ानिब ..;
कि पुराने दरख्तों के परे दम निकलता सा लगे..;
…कि जी चाहे अब...उन अश्कों, यादों के परे
‘कोई हो जो बिखेरे,,,,अब छिटकती चांदनी मेरे हिस्से की..;
…कि ज़िंदगी के आते सफर में ....उम्मीदों से परे'
… अब उन बिखरे ख़्वाबों,,ख्वाइशों का इन्तख़ाब होता सा लगे ....!!!
वरक़--पन्ना
एहबाब -दोस्त
इन्तख़ाब-- चयन
एहबाब -दोस्त
इन्तख़ाब-- चयन
Ultimate...evry single word used is just so alive..
ReplyDeleteShukriya ,,,for your appreciation, just being wid the posts further.
ReplyDeleteKash ke lamhe bhar ke liye ruk jaye Zameen ki Gardish
ReplyDeleteAur koi Awaaz na ho Tumhare Dil ki Dhadkano ke siva —
...
aap apne aap me ulje hue ho...aur us uljno ki suljan khwais aur khwabo me dhundhte ho..
Haqiqat kuch aur baya karti he post me aur khwabo ke parinde ud rahe he "Umeedo se pare.."
Bahut umdaa lines,,,
DeleteNaa mumkin hai isko samjhanaa, umeedo se pare bhi,
khwaishon k darkht pe dil ka apna hi dimaag hota hai.
well appreciated feelngs btwn d lines,,,keep in touch further,,
Dear Ritu ji,
ReplyDeleteVery intense expression of relationship......Excellent. Keep it Up.
I would like to quote someone's lines in this context.
A relationship is like a rose,
How long it lasts, no one knows;
Love can erase an awful past,
Love can be yours, you'll see at last;
To feel that love, it makes you sigh;
To have it leave, you'd rather die;
You hope you've found that special rose,
Cause you love and care for the one you chose.