Tuesday, October 28, 2014

कुछ ऐसा हुआ ख़ास इस बेखबर दिल के साथ
ओस की ठहरी बूँद की तरह तर्रनुम लिए,,,
उस तब्बसुम से मुलाक़ात हुई...
..जादूगरी का तिलस्म था उसकी बातों में;
या कोई एहसास-ए-कशिश उसकी आँखों में
लगा, 'खामोशी से अल्फ़ाज़ों में बाँधे जा रहा 
हो!
कब ,,कोई उस बिखरी आस, ख्वाबों को
उस तन्हाई  ,,उस ना-उम्मीदी को,..
रेशम के तारों से सुलझाता जा रहा हो,,,;   
..कि बीते सवालों में भरी उन रंजिशों को
,
आधी अधूरी ,,,उन ख्वाइशों को ..;

धीमे अंदाज़ से मेरी ज़िंदगी में पिरो रहा हो !
अक्सर जो निकलती रही आह जो गुज़री यादों की
वो टूटती-जुड़ती दिल की पैबन्दकारी को   ..
वो अपनी उस निगाह-ए-नाज़ से बहला रहा हो !
सदियों से ठहरी उन तमाम हवाओं का रुख़
उम्मीदों से परे 'सरगोशियों में ख़ुशनुमा सा लगे ..; 
कि  दिल जो 
कभी तरसा जिस रहगुज़र  के लिए 
आती रुत में जाने कितने बहानो से तार्रुफ़ कराने जा रहा हो.........

4 comments:

  1. Khoobsurat ehsaas..well keep it up.

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  2. Kuch Ulajane..
    Char Dost..
    aur
    Ek Tum..
    ..
    Zindgi puri.


    Aur isse jyada kya kahu.
    Post padhi,, kafi badhiya bayan kiya he apne haal_e_situation.

    Winter ki season me ese ehsaas ka hona jaroori he..hahaha

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    1. Sahi kah rahey ho,,,lekin...aur winter ho ya summer...
      Khalish halki si baaki rahti hai sabke dil mein;;;
      Naam mohbbt uske honey ka intazaar rakhtey hain!!
      Thnks for being regular Gauri....be in touch further.

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