चाहतें जो मुक़्क़मल हैं अभी भी मेरी ज़िंदगी में
मय्यसर बेज़ान ना हो जाये अब इस रहगुज़र में
सदियों की ठहरी ख़ामोशी के उन ठहरे हुए पलों में
ख़ामोशी से फिर अब किसी को पुकारने का मन है
...कब यूँ गुज़र कर बिखर गयीं;
...मेरी उम्र भर की वो रंजिशें
तबियत जो हसास, बेज़ार बीती सहर में
ख़फ़ा उस ख़ुशगुमानी को मेहरबां करने का मन है
...फिर बेरुख़ी तन्हाई रखने लगी है...
हुज़ूम-ए-शौक़ तमाम उन तर्क-ए-गुफ्तगू का;
कि,,,,वो उस एक एहसास-ए-सुकून पल की तलाश;;;
कहते है जिसको ज़िंदगी.'आगोश में लेने का मन है
दहलीज़ पे लगे ...खुश्बू की फिर है कोई ख़ुमारी ;
,,,मोहब्बत जो कभी उम्र पे रही हर पल भारी;
...फिर उसी की वो बातें..वो ज़ज़्बात....
अल्फ़ाज़ों के वो मायने दोहराने का मन है!
मन है कि 'ख़ुदा तामील करे अब इस मन की...
कि..'उम्मीदों से परे...पले वो अधूरे ख्वाब..;
...सादा सी कहानी के वो अधूरे अल्फ़ाज़ ;;
...बे-लूस लकीरों के वो सितम..
...तमाम गुज़री ताबीर-ए-कशिश को 'बेहिसाब करने का मन है...!!!
मय्यसर बेज़ान ना हो जाये अब इस रहगुज़र में
सदियों की ठहरी ख़ामोशी के उन ठहरे हुए पलों में
ख़ामोशी से फिर अब किसी को पुकारने का मन है
...कब यूँ गुज़र कर बिखर गयीं;
...मेरी उम्र भर की वो रंजिशें
तबियत जो हसास, बेज़ार बीती सहर में
ख़फ़ा उस ख़ुशगुमानी को मेहरबां करने का मन है
...फिर बेरुख़ी तन्हाई रखने लगी है...
हुज़ूम-ए-शौक़ तमाम उन तर्क-ए-गुफ्तगू का;
कि,,,,वो उस एक एहसास-ए-सुकून पल की तलाश;;;
कहते है जिसको ज़िंदगी.'आगोश में लेने का मन है
दहलीज़ पे लगे ...खुश्बू की फिर है कोई ख़ुमारी ;
,,,मोहब्बत जो कभी उम्र पे रही हर पल भारी;
...फिर उसी की वो बातें..वो ज़ज़्बात....
अल्फ़ाज़ों के वो मायने दोहराने का मन है!
मन है कि 'ख़ुदा तामील करे अब इस मन की...
कि..'उम्मीदों से परे...पले वो अधूरे ख्वाब..;
...सादा सी कहानी के वो अधूरे अल्फ़ाज़ ;;
...बे-लूस लकीरों के वो सितम..
...तमाम गुज़री ताबीर-ए-कशिश को 'बेहिसाब करने का मन है...!!!
Mohabbat bheekh hi hai shayed,
ReplyDeleteBari mushkil se milti hai....
khoobsurat andaaz e chahat..keep it up.
Dear Ritu ji,
ReplyDeleteBeautiful expression of purest emotions.
It seems that you have put your photograph in today's Expressions. We all know that you are a poem in yourself. Though it is beautiful depiction but I feel photos resembling oneself makes the expression somewhat distracting. Anyways..... you are the best judge. You are purest soul on earth. Keep it up.
Thanks,,Madhumita ji,,,for appriciate again and feel the expressions among the words,...and somewhere you are right to say,,,,I always want to put image here,,,which express the inside images of emotions behind the words....
Deletekeep in touch further....
Are wah..!! kuch alag hi Andaaz_e_bayaan..
ReplyDeletewo kahte he na:::: Uffff. . . ! Wo raat ko Naram Labon Ka Mere Labon Ko Choom Kar Kehna,
Ho Gai na zid puri
Dekho , Ab To sone do...
..
Sorry M'em..! but very excited post.. Dil ki khwais jab dima par hamla karti he to ese khayalat bahar aate he..!!
Hmmm,,,,Aaj tumhare jawaab bhi alag hi andaaz mein bayaan hua hai,...LAJAWAAB!!...chalo meri post se tumko apne din taaza to huey....sounding good.... :)
DeleteKeep in touch further....