उसने कहा था..........;
वो एक ज़ज़्बा, एक हौसला लिए,,,!!;
जिसको हकीकत में लिए,,;
एक हाथ आगे,,, 'भरोसा,,,,एक तमन्ना,,,,;
उस तर्क-ए-ताल्लुक़ के साथ,,,‘एक तक़ाज़ा लिए,;
ख्वाइशों के पर लगाए ,,;
अपने ख्यालों,,,अपने यकीं से बढ़ा,,,,!!
अपने ख्यालों,,,अपने यकीं से बढ़ा,,,,!!
या फिर सिर्फ एक मरीचिका भरम लिए;,,;
सिर्फ कोई एक ही आगे बढ़ा ,,,,??
बिना उसकी जाने ;,,,
जो सच में क्या ठाह थी उसकी ,;?
'कि वो चाहता तो था ,,,’मगर हौसला ना था उसका ,,;
वो जो कुछ, कभी 'उम्मीदों से परे',,,
वो जो कुछ, कभी 'उम्मीदों से परे',,,
. मुझसे....‘उसने कहा था??,,