...वो कुछ कही अनकही बातें उसकी,,,,
वो कुछ कहकर हर बात को जताना मेरा,,;;
क़ि, कभी तो कुछ हक़ीकत लगे उसको,,
..और ‘वो सब कुछ कह-सुन कर भी ,,,वो कुछ कहकर हर बात को जताना मेरा,,;;
क़ि, कभी तो कुछ हक़ीकत लगे उसको,,
ना समझने की अदाएं दिखाना उसका ??
इसी गहमागहमी..कशमकश के जाल में,,
कभी सुलझना मेरा, तो उलझना उसका???
कब...किसी एक मोड़ पर, तनहाई के परे,,,
इसी अंदाज़ को लिए, बीत जाये अब जिंदगी
ये ही सोचकर बेख़बर मुस्कुराना मेरा,,,,
....और ख़ुद ही से टकराते रहना उसका????
जब से हुई, उससे तर्क-तार्रुफ़ 'मेरी गुफ़्तगू...;
कब अपने लिए ही दुआ मांगने लगी ज़िन्दगी !!
उम्मीदों से परे,..बेसहारा जब मोहब्बत कर गयी ...;
फिर उन्हीं जज़्बातों का मुझे, सहारा देने जा रही ज़िन्दगी......!!!
कही- अनकही, उलझी-सुलझी, तार्कोतार्रुफ़ और फिर से जज़्बातों का सहारा लिए जीवन की नयी शुरुआत को प्रेरित करती हुयी रचना के लिए हार्दिक अभिनन्दन!!!
ReplyDeleteशुक्रिया मधुमिता जी,,,,आपके प्रोत्साहन से प्रेरणा मिलती रहती है,...निरंतर जुड़ने के लिए आभार !!!!
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ReplyDeleteखयालात की कशमकश की और उससे उबरने की ईमानदार अभियक्ति हुयी है इस रचना में !
ReplyDeleteशुक्रिया अश्विनी जी,...रचना की सराहना अभिव्यक्त करने के लिए और निरंतर जुड़ने के लिए साभार!!!!
Deleteकहते हैं सभी इश्क है ये,बिक नही सकता,,
ReplyDeleteपर मैंने अपने प्यार की कीमत चुकाई है।।
बिना मांगे जिनको मिल जाता हो....सब कुछ,,,
Deleteकिसी को पाने की शिद्दत और खोने का दर्द वो क्या जाने...???
,,,तो इश्क के साथ सुकून हर किसी को नसीब नहीं होता,'गौरव!!!
thanks for being regular with posts.....
kya khoob kaha Ritu -Lo aaj humne tod diya rishta-e-umeed,
ReplyDeleteLo ab kabhi gila na karenge kisi se hum
Tang aa chuke hain kashmakash-e-zindagi se hum……….
Thanks, Madhu,....n ye bhi sahi kaha tumney......जिंदगी है सो गुज़र रही है,,वरना,,,
Deleteहमे गुज़रते हुए तो ज़माने हो गए???
thanks Dear, for being regular with my posts.....!!!