Thursday, February 13, 2014

Happy Valentine's Day
'सबने कहा बदल- सी गयी हूँ मैं...;
कोई अब उनसे भी ये पूछे,,'कि गर्दिश में 
मुरझाये पत्तों का रंग अक्सर बदल ही जाता है??
...
लेकिन,,बदली नहीं हूँ मैं.....
ना चाहते भी बोझ बने इन रिश्तों से 
अब बाहर और हल्की होना चाह रही हूँ मैं..;
अलफ़ाज़ ही नहीं 'इसके मायने बनना चाहती हूँ मैं!!
बस,,'कि अब कोई मुझे फिर भीतर ना धकेले...
..'
उन उम्मीदों,,अंधेरों,,..शोर,.उस घुटन में...;;
..कि,बाहर उन ओस की बूंदों के साथ उजाला है...;
.....
तरन्नुम है ,अनकही, अनछुई...'उड़ान है...;
'
अब एहतियातों में दिन काटने का मन नहीं है...;
..'
मन है,'उम्मीदों से परे, 'सिर्फ अंतरंग सुनने का...;
..
कि सुने और करे इसकी' शायद ज़माना गुज़र गया..;
...
कि नहीं करनी अब तिज़ारत उन खामोश यादों की..;;
...
क़ि आज वही ख़ामोशी अंदर के अफ़साने सुना रही है मुझे...
....
क़ि ना मुड़ के अब देख उस दर्द ,,उस रहगुज़र को....;
 ...'
एक अनदेखी,एक अनकही फ़िकर--सरग़ोशी बुला रही है मुझे !!!!

4 comments:

  1. मधुमिता शर्माFebruary 17, 2014 at 2:34 PM

    प्रिय ऋतु,

    कहा गया है .....
    ख्वाहिशों को दबाना गलत है
    रह रह के किसी को सताना गलत है ...
    दुश्मन हैं वो इन्सानियत के,
    जो कहते है दिल लगाना गलत है ...

    तो तुम्हारे इस लेख में जीवन के इस अनुभव को साकार करते हुए एक आशावान द्रष्टिकोण जीवन के प्रति देखने को मिल रहा है. साधुवाद...

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  2. Tujhse ab koi wasta to nhi hai mera,
    Magar,

    Tere hisse ka waqt aaj bhi tanha
    guzrta ha

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    1. Tujhe haQ diya hai maine mere saath dillagii ka
      Mere dil se khel jab tak tera dil bahal na jaaye!!!
      Thanks for being regular with posts,Gauri,.Regds!

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