Monday, February 3, 2014

...इत्तफ़ाक़' …;
'इत्तफ़ाक़ से मिल गया कल कोई अनजाने में ..

..लगा,,'दिल का नहीं किस्मत का खेल है ..;
..दिल की खामोशियाँ,,,वो सरगोशियाँ.....,
..कब होने लगी चुपचाप, 'एहसास-ए-गुफ़तगू....;
असर लगे कोई निगाहों …ना तमम्नाओं का...
…लगे सिर्फ ख़ामोशी में पले उस इत्तफ़ाक़ का...;
..इत्तफ़ाक़न..कब ,कोई दे जाता है 'अनकहा एहसास .,
....कि उसमें कोई उम्मीद-ए-उल्फत नहीं...;
….कोई रंजिश,...कोई ख़लिश तक भी नहीं,,,!!!
ये इत्तफ़ाक़ भी छम से होता हर किसी के साथ नहीं ..,
..ज़रूरी नहीं कि मोहब्ब्त के बदले …'साथ मिले ..;
‘पर आज ,मैं अब अपने उन ख्यालों के सदक़े ..,
....उम्मीदों से परे’ कोई जो आस …दूर तलक तक नहीं...;
फ़क़त ..उस अनकही आस के साथ ‘कोई तो है पास  ..;
…ये भी मगर ,,'किसी इत्तफ़ाक़ से कम  भी  नहीं....!!!!!!!!

6 comments:

  1. Aisa lagta hai jaise ik haseen nazm likh dali ho aapne. Ati sunder.

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  2. jyada kuch nahi kehna: मोहब्बत भरा एक पल पाने के लिए.... सदियाँ गुज़ार देते हैं लोग, नफरतों के साथ ..!!!

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    1. Hi Gauri,....thanks Buddy for ur appriciation,...n nice lines you shared....
      Kon kehta hai Nafraton main Dard hota hai.....
      Kuch Muhabbatain bhi bari Dardnak hoti hain!!
      Do keep in touch...Regds

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  3. मधुमिताFebruary 4, 2014 at 4:16 PM

    ख्वाहिशों को दबाना है ग़लत
    रह रह के किसी को सताना है ग़लत
    दुश्मन हैं वो इंसानियत के..
    जो कहते हैं दिल लगाना है ग़लत .......
    किसी शायर ने बहुत खूबसूरत रास्ता जिंदगी को जीने का दिखाया है.....

    ऋतू जी...बहुत दिनों के बाद आपके लेख में जीवन के नायब अनुभव को एक खुशबूदार नज़्म में पढ़ कर बहुत हर्ष हुआ... जीवन के विभिन्न सोपानों के अनुभवों को शब्दों में पिरोने के कौशल में चरणबद्ध तरीके से पारंगत होने के लिए साधुवाद....

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    1. Shukriya Madhumita ji,...first for being regular reader n motivator of my posts,...and secondly,for caught out the feelings behind the words.....
      regds,..do keep in touch,..Madam!!!

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