गुज़ारिश’……………….
..इत्तेफ़ाक़ है या हकीकत,,,इस ज़िंदगी में;
लोग अक्सर अनजाने में मुख़ातिब होते क्यूँ है???
...टकराना सही...'किस्मत के हाथों;
वो एहसास-ए-मोहब्बत-ए-शौक़ जताते क्यूँ है?
वो एहसास भी ज़ायज़..'उन बेपाक निगाहों के ज़रिये;
..कि दिमाग़-ए-ज़हन के करीब उतर कर...
...रुक -रुक के यूँ संभलते क्यूँ है??....
गोया, यूँ जो ख़ौफ़ रखते हैं रूस्वायिओं का..;
...तो फिर घर से बाहर निकलते ही क्यूँ है ???
जाने क्यों एहसास वो एहसानो का..;
पल...दूजे पल,,,हर पल जताते क्यूँ है?
.आते -जाते.. उस रंग-बेरंग ..;
उस बेपाक मौसम की तरह बदलते क्यूँ है??
तन्हाई के आलम में बेमौसम बारिश में भीगें कभी पलकें..;
क़तरा-क़तरा वो पानी किसी को ख़ुशी लगती क्यूँ है??
.'गुज़ारिश है, मानिंद सी रहे अब ज़िंदगी मेरी...;
कि उम्मीदों से परे’.. वक़्त की तरह खेल कर ..;
….यूँ अब ताश के पत्तों की तरह तकसीम ना करे कोई ..,
लोग अक्सर अनजाने में मुख़ातिब होते क्यूँ है???
...टकराना सही...'किस्मत के हाथों;
वो एहसास-ए-मोहब्बत-ए-शौक़ जताते क्यूँ है?
वो एहसास भी ज़ायज़..'उन बेपाक निगाहों के ज़रिये;
..कि दिमाग़-ए-ज़हन के करीब उतर कर...
...रुक -रुक के यूँ संभलते क्यूँ है??....
गोया, यूँ जो ख़ौफ़ रखते हैं रूस्वायिओं का..;
...तो फिर घर से बाहर निकलते ही क्यूँ है ???
जाने क्यों एहसास वो एहसानो का..;
पल...दूजे पल,,,हर पल जताते क्यूँ है?
.आते -जाते.. उस रंग-बेरंग ..;
उस बेपाक मौसम की तरह बदलते क्यूँ है??
तन्हाई के आलम में बेमौसम बारिश में भीगें कभी पलकें..;
क़तरा-क़तरा वो पानी किसी को ख़ुशी लगती क्यूँ है??
.'गुज़ारिश है, मानिंद सी रहे अब ज़िंदगी मेरी...;
कि उम्मीदों से परे’.. वक़्त की तरह खेल कर ..;
….यूँ अब ताश के पत्तों की तरह तकसीम ना करे कोई ..,
कि रही ना अब कोई ताक़त उन बेखलूस ख्वाबों की भी..;
फिर किस बिनाह पे कहते रहे .'बनती-बिगड़ती ये आरज़ू क्यूँ है???
फिर किस बिनाह पे कहते रहे .'बनती-बिगड़ती ये आरज़ू क्यूँ है???
Kisi ne sahi hi kaha hai Mohtarmaa ki, Naamumkin hai isko samjhnaa
ReplyDeletedil ka apnaa hi dimaag hota hai
Keep it up well going
वफ़ा की मौज मस्ती में अब भी 'बादशाह' हैं हम,
ReplyDeleteजो दिल को तोड़ देते हैं
हम उन्हें छोड़ देते हैं...
Kya baat kahi,,,wah..,Gaurang..
Deleteमुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं, पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते ..
its also true...well thanks for feel the words...
Dear Ritu ji,
ReplyDeletebahut hee umda likha hai....
Saadhuvaad.....
shukriya Madhumita ji niranter jurney aur protsaahan ke liye,....
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