एक पत्ते पर ठहरी हुई सुबह की ओस की बूँदें ,.जिंदगी में उस एक ठहराव की तरह कभी मालूम होती हैं जिसमें बहुत याद आते हैं वो,.'वो हमें कभी भूल जाने वाले!!!!
और जो कुछ पल बाद वो बूँदें उसी पत्ते से फिंसल कर मिटटी के साथ मिलकर उस तकदीर की तरह लगती है ,जो हंसते हुए चेहरे पल भर में मायूसी में बदल देती है, शायद तकदीर को रिश्तों और चाहत की पहचान नहीं होती है ???और शिकायत हम दूसरों से करते हैं क्योंकि उन्ही में सुकून और मोहब्बत ढूँढ़ते रहते हैं...
किसी को पाने की चाह अपने को भी भुला देती है......अपनेआप को , अपने वजूद को, अपनी हंसी को भी,
अपने वो कभी कभार मिलने वाले सुख-चैन को भी.....
और लगता है कभी किसी को अपना बनाने की चाह में अपनी कदर भी खो देते हैं और आखिर में ऐसा पल आता है जिसमे दिल को हकीकत के सिवा सब कुछ अच्छा लगता है........
और सिर्फ उन यादों के पलों में ही गुम होना अच्छा लगता है उस एक बचपन के उस खिलोने की तरह,....जिसको जब जी चाहे उठाकर अकेले में भी खेल लो!!!! क्योंकि
उम्मीद से परे यादें होती हैं जिनके पास
तनहा होकर भी वो कभी तनहा नहीं होते.
ढूँढ ही लेते हैं अपने ही लफ़्ज़ों में फसाने भी
और अपने ही लम्हों में ज़माने भी
....!!!!!!!!!!!
हृदयस्पर्शी! जीवन के यथार्थ को उल्लिखित करता हुआ यह लेख अतिउत्तम प्रयास है!! जीवन में नातों का रिश्ता बहुत ही जटिल होता है - जानते सभी हैं पर मानते नहीं हैं!
ReplyDeleteTrue facts of life narrated in very simple words. Excellent!!! Keep it up!!!
ReplyDeletetruth of life
ReplyDeletebachpan ke din bhi kya din thy.....
ReplyDeleteYaaadein... Jab insaan ke pass kuch hota... To yaade hi uska sabkuch hoti hai... Wo to insan ki kabiliyat, uske ehsaas hai jo tanhai ko bhi yaado me badal kar labo par muskaan la dete hai.. Or kadachit agar aansu bhi nikal jaaye to wo bhi khushi ka hi ek roop hota hai.. Jitna yaado ko sahej sako, jee sako.. Sahejo or jeeyo.. Koi na koi roop me khushi hamesha pass hogi.
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