Friday, July 26, 2013


इश्क क़ज़ा हैसज़ा हैबला और जूनून भी है इश्क......
खुद
 
और खुदा से इबादत की तरह है ये इश्क…,,,तब भी बे-सुकून हकीकत में सब ये किये जा रहे हैं और  कहे  भी जा रहे हैं,,,,!!!और कभी बे-ख्यालीबे-ध्यानी में ये एकतरफ़ा हो,.....तो लाइलाज़ है ये इश्क!!!
फिर,ज़हन में सिर्फ सवालों की नादानी .....कि ,;;
"ये इश्क तबाह कर गया तो फिर????
ये खुद अपने पर किये ज़ख्म ना धुल सके तो फिर????
उस परछाईं  के लिए ज़ज्बा भरा ये दिल,,,;
ना-उम्मीद और जूनून में हो गया तो फिर????
जिससे अभी सिर्फ आँखों में ही मिली हूँ,,,,
वो हकीकत में मिल गया तो फिर????
गरतमाम उम्र के लिए वो हसीं दर्द,...
उसकी तरफ से हमेशा मिल गया तो फिर???
कभी आज तक ज़हन उससे कोई सवाल भी न कर सका,,,,
इत्तफाक से मेरे सवालों का जवाब मिल गया तो फिर??? 
क्योंकिफिर कहाँ हौसला रहता है,…किसी को भुलाने का ....
सदियों का 'उम्मीदों से परे' पले जूनून का लम्हों में सुकून कहाँ ????????  


Thursday, July 18, 2013

आज लगा कि सिर्फ उस मोहब्बत भरे दिल की भी बात करूँ .....जिसमें किसी को पाना ,...किसी को खोना,....और किसी के हरदम कभी याद आने पर बेचैन होना......और कभी ये भी सोचना और तौबा करना कि गर,..यही 'इश्क' है,....तो जिंदगी में तो हम तनहा ही भले थे????
क्योंकि ,ग़ालिब ने भी खूब कहा कि "इश्क क्या है,,,सिर्फ एक दिमागी ख़लल के सिवा कुछ नहीं"....और  ये भी आज़माया हुआ है कि ,....अक्ल या दिमाग से  ये जुनून मुमकिन बिलकुल नहीं होता.....ये दिल वाले ही  होते हैं जो मुहब्बत में हर चीज़, अपना सुख-चैन लुटा देते हैं...क्योंकि ये सिर्फ  अल्फाजों की ही गुफ्तगू नहीं है..............ये  बस,..दबे पाँव ,..अचानक ही जिंदगी में दस्तक देती है,!!!!
जिंदगी के सफ़र में किसी से पहचान होना लाज़मी ही है.....यानि कि वो पहचान,जिसमें  सिर्फ नज़र भर देखते ही दिल धडकने का सबब महसूस हो ...लेकिन कोई एक ही हमसफ़र अच्छा लगता है,....वो जिस पर एक यकीन और विश्वास के साथ सर्वस्व लुटा दो....और फिर  हमेशा आँखों में एक चमक , और होठों पे एक मुस्कान  ,एक नूर के साथ   ....हर पल.,...हर घड़ी,,  दिल में खुद--खुद एक शख्स समाया रहे.......!!!!!!!!!!!! ,..
क्योंकि ये मुहब्बत भी जिंदगी  में सब खेलों से  एक दम जुदा है , अलग है,....इसमें जो हारता है वो फिर नहीं खेलता..,और जो जीतता  है  वो तौबा के सिवाय भी कुछ नहीं करता...,.इसकी उड़ानउम्मीदों से परेहोती है ......लेकिन  अगर  ख्वाइशें  उम्मीदों से भरी हों,, तो सिवाय  दर्द  और यादों के कुछ भी नहीं मिलता है!
इसकी बहुत अजीब सी माया है................जिनको पूरी तरह पाया भी नहीं................उनको खोने का डर भी हमेशा बना रहता है..............क्योंकि मुहब्बत एक बंद मुठ्ठी में रेत की तरह होती है,....और अचानक इन उम्मीद्दों  के रहते ,....कभी बेध्यानी,...बेख्याली में.....बिना सोचे समझे ........या यूँ ही, बे-इरादा कब बंद मुठ्ठी  से रेत खिसक जाता है,,, एहसास भी नही होता ...............और  तब  हाथ खाली रह जाते हैं..............और फिर दिल में हमेशा एक खलिश के साथ ....
वो लम्बी दोपेहरीं,,,लम्बी रातें,...वही दिल के बेअदब से हालात रहते हैं....,
अन्दर  कितनी  खलबली, कशमकश  और बाहर  दूर तक सन्नाटे रहते हैं???
…,तो इसमें भी बहुत एतियाहत बरतनी पड़ती है ....क्योंकि.....लाख  दर्द,..रंजिशों, जुदाई, रुसवाई और तन्हाई , के बावजूद भी ..., गर इश्क एक जुनून है,तो एक बुरी बला भी है..,... और ये जानते हुए भी ...... जिसको सब..,,
"कहे भी जा रहे हैं..............और किये भी जा रहे "हैं!!!!!!!!!!!!