Tuesday, December 30, 2014

दर्द से गर दर्द मिले 
....नए साल की शुभकामनाएं !!!!
सुना है राहत होती है नसीब
कैफियत की रफ़ाक़तों में 
 जाते हैं कब अलफ़ाज़ करीब...;
यूँ तो कुछ मिलता नहीं 
सिर्फ चाह लेने से इस ज़माने में
सिर्फ एहसास  उम्मीदों से परे,'
 रह जाता है सिर्फ अफ़सानों में...!!!
गुज़रे इस बरस के साथ
 ख़ुद से एक दरख़ास्त लिए
 कि ज़िंदगी के अधूरे ख़्वाब
 अब और ना बिखरने  देंगे  किश्तों में..;,
 
ना कोई उम्मीद रखेंगे अपनों के साथ
 कि,...वक़्त-बेवक़्त  पूछेगा गर कोई सबब
 आँखें नम ना  करेंगे  तब  किश्तों  में...!!
 वो हताश सबर ,वो अफ़सरदा पल..;
 मायने ,जिनका शोर गए बरस हसास रहा...,
आने वाली रुत में हो सब ..,नया नया सा..;
 कि उम्मीदों से परे ,'गर तुझ मे कुछ नया है..,
तो दिखे अब हर बात नयी...
हर सुबह नयी,,,,,,फिर शाम नयी...
हर शय जहाँ से  हसीं लगे....,
 कि ,'ना रहे  कुछ भी  खोने का कोई डर,
 ....ख़ुद में झलके  हर पल कुछ पाने की'...वो  अदा नयी...............!!!!!!!!!

Thursday, December 4, 2014

वो इक़रार,,, कभी इंकार से गुज़रती 
हर बार  नए आज़ाब से उलझती ये  ज़िंदगी
वो वहशतें,शोर,,हंगामा जो बरपा है
दर्द की कैफियत वो ज़हन की रफ़ाक़तें...
इत्तेफ़ाकन फिर नए मोड़ पे लाती ये ज़िंदगी..
रस्ता बदल - बदल कर भी देखा...,
शख्स वो कब दिल में उतरकर ....
अपनी नज़र से जब नीलाम कर गया..;!
इनायतें मोहब्बत की हमें अपने करीब ले आई ..,
रूह शनास-सा ,,’वो मेरी ही तरह  बेख़बर लगता है..,
कुछ सोचूँ,,कहूँ तो शक़ हो वज़ूद पे उसके...
करूँ जब आँखें बंद तो यहीं आसपास लगता है...!
उम्मीदों  से परे',,हकीकत ,वो एक हसरत सी लगे..,
ख़्वाब में अक्सर नसीब होती वो दौलत सी लगे..,
बरसों के अधूरे ख़्वाब बन रहे थे हकीकत ,,,इत्तेफ़ाक़ से,,.,
हदें वो सबर की,. जब  तमाम कर गया....!!!
धूल भरे बीते शफ़ाफ़ मंज़र में'....;
रक़्स करती ज़िंदगी को,, वो कब चुपचाप से पढ़ गया….,
पढ़ गया,,,, तन्हाई,,बिखरे अल्फ़ाज़ों की वो किताब...
समेटने को जिसको फिर से ये दिल जुट  गया........!!!


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