Sunday, September 22, 2013

कल जो हल्की  हल्की बारिश थी,.उनमें सर्द हवा के झोंके थे,,
जब हथेली पे गिरी कुछ बूँदें उस बरसात में ,...;;
तो जाने तन्हाई में जाते हैं कहाँ से छुपे हुए ज़ज्बात भी??
ये एहसासों का ज़ज्बा ही है जो कभी इस कदर बड़ जाता है ,..
और महरूम कर देता है किसी की गैरमौजूदगी को...???
आज उस एहसास भरी सोच,..गहरी' लेकिन पथराई हुई सी.,
बंद नम आँखें,..और चंद माथे पे उन  बिखरे बालों  के साथ...
अपने ही हाथ पे हाथ धरे जब यूँ ही मैं खड़ी थी ....;;
कि लगा यूँ जैसे कहीं से हलके से एक एक...करके ,...
कब कोई लम्हों की तरह समेटेगा उन्हे,...
और फिर कब चौंक कर...
जो हसरत भरी नज़र परेगी उस पर,....तो कहेगा,..
'
मैं हूँ ना'....फिर क्यूँ ये दिल और आँखें उदास है???
और जाने कब पलक झपकते ,...ये कहूँ कि,...
गुमसुम यादें ,...टूटे-जुडते  उम्मीद से परे' वो सपने.....
कैसे कटेंगे,...उम्र है...कोई रात तो नहीं????"
फिर कब...उन बूंदों ने  ,एक मुस्कुराहट के साथ एहसास दिलाया ....
कि ...खामोशियाँ भी जो गुनगुनाती हैं,....दिलकश होती हैं,,,,
..........पर .........फ़िज़ूल कभी नहीं होती!!!!

Wednesday, September 11, 2013

यूँ तो हर तरह से मेरे करीब ,मेरे हमराज़ रहे है...,पर;
आज किसी की उदासी में ,अपनी उदासी भी नज़र आती है!!
वो' जो दूर रहकर भी रखता है  ,..करीबी  का ज़ज्बा,,,,
उसके' बगैर भी साथ रहने का एहसास  दिला जाती है !!!
उम्मीदों से परे’..पड़ा है पाला इस मोहब्बत में जिन पत्थरों से
उसकी बातें  वो  ज़ख्म और  दर्द का एहसास भुला जाती हैं!!
बिना कुछ जुबां से बयाँ किये जब  दिल सुनता  है उसकी'..,
तो आस पास की तन्हाईयाँ  शोर सा मचा जाती है....!!!
खुदा' जाने कौन सी कशिश दिखती है उसकी गुफ्तगु में..,
खुद से भी ज़िक्र छेड़ूँ,...खामोशियाँ बात करती नज़र आती हैं!
ये दिल की तमन्ना ,चाहत,..ख्वाइश की दुनिया भी अजीब है,,
ज़िदगी में जो आया नहीं उसको कभी खोना भी नही चाहती है
???.

Wednesday, September 4, 2013

वो दीवानगी जो उसकी थी,.. साथ निभाने का ज़ज्बा जो कभी उसका था,,
एक मैं उस राह पर उसके साथ ,
और पीछे काफिला भी उसी का था??
कभी ना बिछुड़ेंगे  हम,,,..ये फ़लसफ़े भी कभी उसी के थे ,...
कब ,,,बीच राह में रास्ता बदलने का फैसला भी अब उसका था???
उम्मीदों  से परे' ,,कभी जिंदगी से रुख्सत तो कर दिया उसे ,
आज उस मोहब्बत ने ही इन्तहा कर दी ..वो जो कभी उसी की थी...???.
क्यूँ, लेकिन  सिर्फ आज मैं ही हूँ तनहा,.ये दिल में सवाल आता  है,
सब तो साथ चले ही थे उसके,...क्या वो 'खुदा' भी उसका था?????
सोचती हूँकरुँगी क्या,,, एक मोहब्बत में नाकाम होकर अब तक ....
फ़क़त..,जिसके अलावा मुझे कामकुछ भी ना आया आज तक????