Wednesday, April 14, 2021

मुझे किश्तों में नहीं जीना अब..,
किश्तों में तो बे-शुमार ज़िंदगी बसर की ;
जो किताबों-उपन्यासों  में जो लिखा-पढ़ा ..,
वो प्यार करना भी पसंद नहीं है अब..
वो जो अलफ़ाज़ लिखते वक़्त किसी का तस्सवुर हो
जिसमें रज़ामंदी हो ,आशिक़ी हो....;
जो बे-ख़लूस ,और कभी बे-मतलब  हो...,
......अब वो बे-हिसाब इश्क़ चाहिए !!
मुझे उस  प्यार का ख़्याल नहीं ,....
वो जिसके ख्याल में हरदम बे-ख्याल रहूँ
वो पंखों की उड़ान  लिए   ....;
वो बे-परवाह ,...'मीरा जैसा इश्क़ चाहिए !!
तोहफे में कोई चीज़ नहीं
जो बे-मिसाल, बेशकीमती हो
वो क़ुरबत में सिर्फ एहसास चाहिए
ऐसा वक़्त-बे-वक़्त का इश्क़ चाहिए !!!
कभी जब जो टूट  के बिखरूँ मैं
तो किसी के चुराए बे-सबब पलों के साथ
बिना रंज़िशें-बंदिशों और उम्मीदों से परे
.....वो  बे-बाक़ इश्क़ लिए   
अपने होठों पे बे-हिसाब हँसी चाहिए ..;
...'मुझे अब प्यार नहीं ,.... 'इश्क़ चाहिए.....!!!

  

Monday, March 8, 2021


आज ना जाने कैसे हक़ीक़त से मुलाक़ात हुई...;

पहले कुछ बात हुई …..फिर कुछ आग़ाज़ हुई !
ऐसा लगा तन्हाई में वो,'गुलज़ार की उस खोई इलायची-सा;
जिसे शायद हम कहीं बे-तक्क्लुफ़ी में रख के भूल गए ,,,
वो जिसके मिलने से हुई खोये हुए अल्फ़ाज़ों में हलचल..;
वो जो ठहरी उस नमी पे यूँ गुज़र जाए....!
खुदा' जाने कौन सी कशिश दिखी दिन की गुफ्तगु में..,
खुद से भी छेड़ा ज़िक्र ,तो ख़ामोशियाँ  ख़ूब  इतरायीं .!
अभी बे-ख़्याली,बहुत अगर-मगर,क़ाश के साये में है मेरे वो;
दिमाग की ख़लिश लिएकभी लगता है इक ताबीर-सा वो,
यूँ जो सुनाया हमने  गुज़रा रूदाद-ए-सफर…,
कह रहा है  दिल  'उम्मीदों से परे, ये आज..,
....कब हम संवर जाए और ये अश्क सिमट जाएँ..!!!

           Happy Woman’s DayJ