Friday, March 20, 2020


मैं अब कुछ कहने से डरने लगा हूँ        
शब्द….,जो ज़हन में रखकर
करते रहते हैं हलचल,,,
हलचल एक उस बहती नदी की तरह
कितना शोर होता है उसमें,,,,,
उस शोर से डरने लगा हूँ।।।।
मैं अब कुछ कहने से क़तराने लगा हूँ
बिना कहे भी तो बहुत कुछ होता है
जो चुपचाप अंदर बहता है
जिसमें बीती हवाओं की रुख़ से,
...एक हरी-सी शाख़ रहती है;
चुपचाप उस हवा की खुशबु तरह शांत,सोम्य,
जो सिर्फ,एक यकीं ,एक एहसास लिए ..;
...
आँखों में,,नूर  दे जाता  है
नूर,एक  सुकून का,'एक अनकही ख़ामोशी का;
'उम्मीदों से परेतमाम लकीरों के इज़ाफ़े लिए 
फ़िर , अब शब्दों से ही होगा सिर्फ खेलना,,,
क्यूंकि,मैं अब कुछ कहने से डरने लगा हूँ…..!!!

7 comments:

  1. बिना कहे भी तो बहुत कुछ होता है
    जो चुपचाप अंदर बहता है
    चुपचाप उस हवा की खुशबु तरह शांत,सोम्य,
    जो सिर्फ,एक यकीं ,एक एहसास लिए ..
    एक सुकून का,'एक अनकही ख़ामोशी का;
    Ultimate

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    1. Thanks for your appreciation
      Keep in touch 🙏🏻

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  2. शब्द….,जो ज़हन में रखकर
    करते रहते हैं हलचल,,,
    हलचल एक उस बहती नदी की तरह
    कितना शोर होता है उसमें,,,,,
    उस शोर से डरने लगा हूँ।।।।
    मैं अब कुछ कहने से क़तराने लगा हूँ

    अद्भुत,,,,मन की हलचल,,,जल की कलकल,,का शोर----- शांत मन में इतनी हलचल।।।।
    सब कुछ कह कर भी कहना कि डर लगता है।।।।अद्भुत अभिव्यक्ति है उद्विग्न भाव की।।।।अद्भुत।।।

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  3. Thanks Anurag.
    Your appreciation alwz motivated my thoughts��������

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  4. Kya khoob kya khoob .....wah

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