Friday, February 22, 2013


कहतें हैं उम्मीद पे  दुनिया  कायम है ,...पर  खुद  कि दुनिया , और अपनी खुद की सोच  !!!!लेकिन जब उस दुनिया में हम किसी  भी दूसरे को शामिल करके उससे अपने लिए उम्मीदों और इच्छाओं का  का पिटारा बना लेते हैं ,....और जो जब  पूरा ना हो तो हम सिर्फ अपने को ही तकलीफ़ देते हैं यानी कि जिंदगी जहन्नुम !!!

लेकिन जैसे कि  एक अनकहा  स्पर्श ,....वो चाहे माँ का हो ,या किसी बच्चे का ...या किसी भी अपने प्रिय का हो,तो सारे गम भुला देता है और ख़ुशी हज़ार गुनी कर देता है!,....रिश्ते जो शुरू में तो मासूम होते हैं ,अपने ऊपर निर्भर भी कर लेते हैं और जब वो गठित हो जातें हैं ,तो ना जाने कहाँ अपनी गरिमा खोने लगते हैं , अजीब गरीब आकार लेने लगते हैं क्योंकि निर्भरता और उम्मीदों की कतार सटीक और भारी भरकम होने लगती है ,,,,बिना ये सोचे समझे कि ईश्वर ने हर इंसान का व्यक्तित्व  और वयवहार अलग बनाया है ..... पर इन सब बातों का एहसास बहुत दर्द के साथ  होता है और दर्द आकान्शाओं ,उम्मीदों से ही पनपता है ,तो क्यूँ ना इसके परे आज वो जहान बनाया जाये,  जिसमें वो अनकही ,अनचाही ,अनसुनी ,अनछुई ..अनदेखी भावनाएँ और बातें हों जो  दिल में सुकून और अन्दर की मासूमियत बरकरार रखे क्योंकि दो पल की जिंदगी में ख़ुशी और गम ,.....दोनों ही हमारे हैं ,किसी और से उधार के नहीं , !!!
क्या खोया क्या पाया जग़ में 
मिलते और बिछुरते मन में 
अब किसी से मुझे नहीं शिकायत 
यद्यपि छला गया पल पल में !!!!
ये किसी के कहे अल्फाज़ यहीं पे खत्म नहीं होते ,बल्कि शुरआत है उन अल्फाज़ों की ,जो कई सालों से मेरे इर्द गिर्द सबके होते हुए भी अन्दर एक उलझन कर रहे थे .......और अब बिना किसी उलझन के सुलझ सुलझ के निकल रहे हैं ,,,,,,एक खट्टे मीठे तजुर्बे के साथ ,!!!!!!!!

49 comments:

  1. Agree... Ultimate thinking of your sweet and sour experiences of life. Keep it up :)

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  2. इंतज़ार है..... आपके अनुभवों से जिन्दगी के बारे में कुछ नए तरीके से सोचने का!!!

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  3. इंतज़ार है..... आपके अनुभवों से जिन्दगी के बारे में कुछ नए तरीके से सोचने का!!!

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  4. tumahare alfajho ka sellab jo nikla dil se mano ke ek tufan sa tha dil me jo gujar gaya.

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    1. ...............thnx....kavita!!! !i wl continue .......with peace....jo tufaan ke baad ki hakikat hoti hai!

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    2. Nice thoughts & experiences of life journey....

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  5. 'अनकहा स्पर्श' does not mean anything ?? It is incorrect use of adjective or noun, should be अनकही बातें or अनछुए स्पर्श or अनपेक्षित स्पर्श. It is not a matter of emotion, rather incorrect represention of expression. Do you think these words justify your expression/feelings properly ??? can you think of a plant of white color or the sky is green ? nah !!!

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    1. MAINE APNI MAA SE KABHI NAHI KAHA KI VOH AAYE AUR MUJHE GOD MEIN LEIN AUR MUJHE CHUMBAN DEIN. SAB KUCHH UNKAHA. LEKIN PREMIKA KO KAI BAAR KAHA KI AAJ MUJHE BAHON MEIN BHAR LO, AUR KAHNE KE BAAD BHI SAU NAKHRE AUR FARMAAISH, VO TOH MAA HI THEE JISE KUCHH KAHNA NAHI PADTA. SAB PYAR, SNEH, LAAD BINA KAHE YAANI KI UNKAHE MIL JAATA THA. SHAYAD TUMHE BHI MILA HO SAROJ JI.

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  6. आपके कहे का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन ये भी सच है की भावनात्मक लोगों की भाषा कम ही.किसी के दिल तक पहुँचती है, अब चाहे उस भाषा में क्रिया-विश्लेषण ठीक हो या नहीं......! ये उसके लिए मायने नहीं रखता,क्योंकि जिसकी रही भावना जैसी.... प्रभु मूरत देखि तिन तैसी !!!!
    अनकहा स्पर्श,......वो उम्मीद के बिना का स्पर्श ,जो चाहे माँ का हो, बच्चे का या अपने प्रिय का,.........एक मन को सुकून , शान्ति और शरीर में अजीब सी सिहरन दे देता है...जो उन उम्मीदों से परे होता है, जिसकी हम उस वक़्त कल्पना भी नहीं करते, और हमे बिना कहे, बिना छुए ,बिना देखे ही मिलता है और अजीब सा एहसास दे
    जाता है.!!!!!!!!!!!!
    और जब हम किसी भी मानसिक या शारीरिक दर्द में हों तो यही कल्पना और भावनाओं से भरा अनकहा स्पर्श ,......जैसे की हमको नया जीवन दे जाता है , नयी ताजगी सी दे जाता है....!!!!

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  7. I know you will not correct yourself, but as you say अनकहा स्पर्श,......वो उम्मीद के बिना means you are tying to say 'unexpected touch' then it should be अनपेक्षित स्पर्श. बिना कहे या बिना बताये स्पर्श को 'अनपेक्षित स्पर्श' कहे सकते है . अनकहा मतलब जो कभी कहा न गया हो. अब सोचो 'जो कभी कहा न गया स्पर्श ' क्या सही शब्द हे

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    1. मधुमिता शर्माMarch 4, 2013 at 5:56 PM

      महोदया/मोहतरमा,
      ऐसा प्रतीत होता है कि आप ऋतुमाला जी को भली भांति जानती हैं पर फिर भी उनकी भावनाओं की क़द्र न करते हुए उनकी रचनाओं में खोट (जो कि सही नहीं है)निकालने में ही अधिक उत्सुक लग रही हैं| जब कोई व्यक्ति व्यथित होता है तब वह न तो जान सकता है और न ही कह सकता है कि उसे किसका स्पर्श खुशी को हजार गुना बढ़ा सकता है या सुकून दे सकता है, इस स्तिथि में 'अनकहा स्पर्श' बिलकुल ठीक तरह से प्रयोग किया गया है| अब आप यह सोचिये कि आप की शंका का निवारण हुआ की नहीँ?या अब सोचो 'जो कभी कहा न गया स्पर्श 'क्या सही शब्द है| लेखन के समय लेखक की भावना को लेखक ही समझ आती है और बाद में पाठक को न समझ आने पर उसकी परिभाषा लेखक से ली जा सकती है जैसे की कवियों के दोहे पढ़े तो जाते हैं पर जब उसकी प्रसंग सहित व्याख्या की जाती है तभी उसका भावार्थ समझ आता है! आशा है कि आप इस विषय को समझ कर यहीं विराम देंगी और लेखक को उसकी भावनाओ की अभिव्यक्ति के लिए प्रोत्साहित करेंगी.

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    2. I like your comments. And there are people who sticks with the words only but not for the emotions and a sensitive meaning. There are other hundreds words with good meaning and feelings but still they think of only the wrong one which really is not a wrong one. Such people will suffer and suffers the same problem. Madhumita ji jinko aapne ek female samjha vo ek male hai. Ab shayad unki samajh mein aa jaaye ki shabd kaafi nahi hote kisi ko samajhne ke liye. Kuchh log spellings hee yaad karte rahte hai, unhe bhavnaao se kuchh lena dena nahi. Madhumitaji I liked your comment aur comments ki vyaakhya.

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    3. जब कोई व्यक्ति व्यथित होता है तब वह न तो जान सकता है और न ही कह सकता है कि उसे किसका स्पर्श खुशी को हजार गुना बढ़ा सकता है या सुकून दे सकता है, इस स्तिथि में 'अनकहा स्पर्श' गलत प्रयोग है|" तब वो शब्द 'अपरिभाषित स्पर्श' हो सकता है, अनकहा नहीं, अनकहा मतलब जो कभी कहा न गया means never been told and told for the first time that is applied for a word not for the touch, it is incorrect use of adjective/noun.
      तब तो 'अनकहा रफ़्तार', 'अनकहा फूल' भी सही शब्द हो सकते है .
      और आप कहना चाह रहे हो 'न ही कह सकता है' means which can not be spoken, मतलब जो वर्णन किया ना जा सके। जिसका का वर्णन नहीं कर सकते हो उसे अनकहा नहीं 'अपरिभाषित' या 'अनभिव्यक्त'
      कहा जाता है। जो कभी कहा न गया वो 'शब्द' हो सकता है 'स्पर्श' नहीं , It is not about the feelings and emotion it is incorrect choice of words, then the feeling will not correctly expressed.
      The tone of a poem is often used to influence its emotional impact beyond the literal meanings and sounds of the words, but improper use of words is likely to fail to evoke the specific emotional response intended by the poet. Sometimes few readers understand the feelings without going to the depth of your words but not all the readers, if you express in correct words everyone understand your feelings. Which is better? You are trying to say ‘unexplained or unexpected touch’ but use the words as ‘unspoken or untold touch’. Kindly pause before you write and think what you trying to say you will find better words. Poems have bidirectional property, only expressed by words. Poet should communicate properly so that the readers exactly feels the way you are thinking; not by incorrect choice of words and means differently. Again अनकहा मतलब जो कभी कहा न गया, means never told before (can you explain what is 'never told touch'). न ही कह सकता है means can not be explained in words (not touch).

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    4. I could not understand all shakespear's poems and I think he used all correct words. But I can understand well a ryhme said by a kid. And there are mistakes. Poem is nothing but its a language of heart. NEVER BEEN TOLD means KABHI NA BATAYA GAYA. SPOKEN means BOLA GAYA. UNKAHA means in english NOT ASKED FOR TO. MAINE KAHA KI AAP 60KM/H KI SPEED PE JAAO AUR AAP GAYE 70KM/H KI SPEED PAR. TOH YE HUI " UNKAHI RAFTAAR" AUR APKO RAFTAAR KA GENDER BHI NAHI PATA. LEKIN ISKA MATLAB YAH NAHI KI AAP RAFTAAR KE BAARE MEIN NAHI JAANTE. YE BLOG KAVITA AUR APNE VICHARON KO SHARE KARNE KA HAI NA KI GRAMMAR KI CLASS KA.

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    5. Again use of wrong words, 'Beyond speed limit not untold speed. Unstated may be the right words. unkahi raftar nahi tej raftar bolte hain. Aur pls. cellphone, harddisk, missile, proton, bluetooth ka kya gender hai aur kyoun ?? Galatiyon ko jo thik karta hai wo sahi friend hai na ki galtiyoun me dhakele do. Aur jabab jaroor dena aur bahot sare gender puchhna hai, tumse bhi kuch shikh le.

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    6. AUR HUM TUMSE HINDI KA VYAKARAN SEEKHNA CHAAHENGE....LEKIN TUM MERE POORE COMMENTS KI VYAKHYAA KARO. JO MAINE TUMHARE SAWAALON KA JAWAB DIYA HAI PAHLE USS PAR CHARCHA HO JAAYE JARA. AUR HUMNE YE BHI KAHA KI AAPNE GALAT LIKHA LEKIN ISKA YAH MATLAB NAHI KI TUMHE NAHI PATA........

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    7. ये भी बता दीजिये आप 'अनकहा स्पर्श' का मतलब क्या समझते है, मुझे तो पता है वो किस संधर्ब में लिखा है . फिर पता चल जायेगा उसकी सोच और आप की समझ में क्या समानता है . और जरा ये मोबाइल, ब्लूटूथ, प्रोटोन, मिसाइल इत्यादी के जेंडर के बारे में जरूर बताना और क्योँ, ये भी बताना. Plz.

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    8. SORRY I AM POSTING IT AGAIN I THING YOU HAVE NOT READ IT..
      MAINE APNI MAA SE KABHI NAHI KAHA KI VOH AAYE AUR MUJHE GOD MEIN LEIN AUR MUJHE CHUMBAN DEIN. SAB KUCHH UNKAHA. LEKIN PREMIKA KO KAI BAAR KAHA KI AAJ MUJHE BAHON MEIN BHAR LO, AUR KAHNE KE BAAD BHI SAU NAKHRE AUR FARMAAISH, VO TOH MAA HI THEE JISE KUCHH KAHNA NAHI PADTA. SAB PYAR, SNEH, LAAD BINA KAHE YAANI KI UNKAHE MIL JAATA THA. SHAYAD TUMHE BHI MILA HO SAROJ JI.

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    9. AUR BAHUT HI DUKH KA VISHAY HAI AAP POEM KA BHAVARTH NA LEKAR VYAKARAN MEIN ULAJH GAYE HO. KISI KAVI ISSE ZYADA APMANIT NAHI KIYA JA SAKTA. KAVI KI BHAWNAO KO CHHOD AAP APNE SHABD GYAN PAR ZYADA CHARCHA CHAH RAHE HAI. AGAR AAPKO VISHWASH NAHI HOTA TOH KRIPAYA AAP DOBARA SE SAARE COMMENTS PADHE.

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    10. आप 'बिना कहे' लिख रहे हो इसका मतलब को अनकहा नहीं होता 'अनपेक्षित स्पर्श' हो सकता है। जो कभी कहा न गया हो उसे अनकहा कहते हैं। बिना मांगे स्पर्श को 'कभी कहा न गया हो स्पर्श' नहीं कह सकते। I express the feelings with proper words, not with what I feel and express otherways.

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    11. आप 'बिना कहे' लिख रहे हो इसका मतलब अनकहा नहीं होता 'अनपेक्षित स्पर्श' हो सकता है। जो कभी कहा न गया हो उसे अनकहा कहते हैं। बिना मांगे स्पर्श को 'कभी कहा न गया हो स्पर्श' नहीं कह सकते। I express the feelings with proper words, not with what I feel and express otherways.

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    12. 'बिना कहे' और 'जो कभी कहा न गया हो' both are different. Try to understand.

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    13. MAINE APNI PREMIKA SE KAHA MUJHE BAHON MEIN LE LO. USNE KAHA ABHI JANA HAI. AUR MAI SPARSH KO TARSTA RAHA KAHNE KE BAAWZOOD. MUJHI CHOT LAGI AUR MERI MAA NE BINA KAHE MUJHE BAHON MEIN BHAR LIYA.

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    14. That's the different. 'बिना कहे' और 'जो कभी कहा न गया हो' both are different, 'बिना कहे' means without asking for or UNPROMPTED or SILENTLY and अनकहा means without speech you say something; which is never been told before. AGAIN-- YOU SAY SOMETHING OR NOT to SAY SOMETHING means YOU 'say' a word or sentence not say a touch. If touch is never spoken (unspoken touch) then it means "Touch" the word is never spoken.
      Speak is the verb for noun 'word'; not for the 'touch'. Can you speak a touch or unspoken a touch.
      'बिना कहे' को 'अनकहा' नहीं कहते, जो कभी कहा न गया हो उसे अनकहा कहते हैं, I know from the day the bolg was published that 'बिना कहे' कहना चाह रहे हो लेकिन अनकहा लिखे जा रहे हो .

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    15. I conclude here, I know her feelings and emotions which has more depth than her poem. I was trying to encourage her to express more and use more expressive and meaningful words, so that the completeness of feelings comes out by the words. I know that few feelings exists that can not be expressed with words, but use of improper words and praising of that words spoil the feelings completely.

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  8. no comments at all now,,,,,लेकिन फिर भी भी अनकहा और अनपेक्षित स्पर्श के लिए सिर्फ इतना ही ...कहूँगी ............... जिसकी रही भावना जैसी.... प्रभु मूरत देखि तिन तैसी !!!!

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    1. अनकहा {adjective}
      अनकहा [ankaha] {adj. m} (also: न कहा हुआ)
      unsaid {adj.}
      अनकहा [ankaha] {adj. m} (also: न कहा हुआ, जो गिना न जा सके)
      untold {adj.}
      अनकहा [ankaha] {adj. m/f} (also: न कहा हुआ)
      unspoken {adj.}


      इन सभी व्याख्यायों के बाद अनकहे स्पर्श (जो कि अनुचित शब्द प्रयोग नहीं है) के बारे में और वाद विवाद न करें और अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति को निरंतरता प्रदान करें!

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  9. Dont misguide by giving wrong suggestions. if what you trying to expressed is not communicated by proper words, then use better words not an incorrect word. अनकहा : , in these words try to feel the emotion, did you get न कहा हुआ स्पर्श. Dont be fooled youself. जिसको बयान नहीं कर सकते वो स्पर्श अनकहा नहीं 'अपरिभाषित' या 'अनभिव्यक्त' कहा जा सकता है। अगर सोच रहे हो बिना कहे स्पर्श करना तो वो 'अनपेक्षित स्पर्श' होगा, 'अनकहा' तो कभी नहीं. और खुद सोचो क्या कहना चाह रहे हो, फिर शब्द मिलजायेंगे . तुम लोग गलत शब्द इस्तेमाल करके भाबनाओ को गलत दिशा दे रहे हो। हरा आकाश, सफ़ेद पेड़ क्या सही भाबनाये है या गलत शब्द।


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    1. मधुमिताMarch 5, 2013 at 3:31 PM

      माननीय सरोज जी,
      सबसे पहले तो आपको महोदया/मोहतरमा संबोधित करने के लिए माफी चाहूंगी. आप अपनी जगह सही हैं कि भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उचित शब्दों का प्रयोग पाठकों को सुविधा प्रदान करता है. पर महोदय आपने अनुराग जी द्वारा उल्लिखित परिभाषा को शायद ध्यान से नहीं पढ़ा मैं उसको यहाँ दोबारा लिख रही हूँ:
      अनकहा {adjective}
      अनकहा [ankaha] {adj. m} (also: न कहा हुआ unsaid {adj.}
      अनकहा [ankaha] {adj. m} (also: न कहा हुआ, जो गिना न जा
      untold {adj.}
      अनकहा [ankaha] {adj. m/f} (also: न कहा हुआ) आदि आदि, शायद यह परिभाषाएं उन्होंने किसी शब्दकोश से उदहारण के तौर पर आपको यह बताने के लिए लिखी हैं कि न तो वह शब्द गलत है और न ही उसका प्रयोग. आपका यह कहना Dont misguide by giving wrong suggestions कदापि प्रशंसनीय नहीं है क्योंकि व्याकरण की द्रष्टि से यह उपयोग सर्वथा उचित है, इसलिए आप कृपा कर अपने ज्ञान को थोडा और बढ़ाये और जहाँ तक आपके उदाहरणों के बारे में सोचा जाय यह प्रतीत होता है कि कवि को केवल आपके पसंदीदा या केवल वो शब्द प्रयोग करने चाहिए जो कि आपको अच्छे लगें या आपको समझ आयें. समझ में तो मुझे सरोज एक महिला लगी तो क्या मुझे यह कहना चाहिए कि आपको अपना नाम पंकज रखना चाहिए? of course these words are noun.(कमल, पंकज, सरोज सभी पर्यायवाची शब्द हैं पर किसी को अपना नाम कमल अच्छा लगता है और किसी को पंकज| जब कई सारे शब्दों का मतलब वही हो तो कोई भी शब्द प्रयोग किया जा सकता है. राजीव ढाका जी की व्याख्याओं को मैं सहर्ष स्वीकार करती हूँ और उनके और आपके बीच के संवादों की वजह से ब्लॉग के जरिये जो माँ.... बहन.... की भावनाओं की गरिमा को ठेस पहुची है उससे बहुत आहत हूँ! सात समुंदर पार बसी होने के कारण और उम्रदराज होने की वजह से मैं माँ के प्रति एक बेटी की इतनी गहरी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति को पढ़ कर बहुत भावुक हो जाती हूँ और एक स्त्री की भावनाओं की कद्र आप भी करें "सरोज" जी, कृपा कर ऋतू की भावना को व्याकरण में न घसीटें उसे लिखने दें और फिर उसने भी तो आपसे पहले ब्लॉग में ही सुधार करने की सहमती जताई है, गुस्सा थूके और अपनी मित्र को और तीव्र गति से लिखने को प्रेरित करें! नोवोदित लेखन को जो कि अभी एक मासूम कली की तरह है उसे एक प्रतिष्ठित लेखन, एक खुशबू भरे फूल, में विकसित होने में सहायता करें न कि कली को फूल बनने से पहले ही कुचलें! अब आप हरा आसमान, सफ़ेद पेड़ और पता नहीं कौन से रंग का फूल कह कर उसको और भ्रमित न करें!

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    2. I fully understand the feelings behind the blog but I again feel that expressing in appropriate words gives the clear picture. फिर एक बार बताना चाहूँगा 'बिना कहे' और 'अनकहा' जो कभी कहा न गया हो' both are different, 'बिना कहे' means without asking for or UNPROMPTED or SILENTLY and अनकहा those words which is never been told before. कहा या अनकहा कभी स्पर्श के साथ नहीं लगाये जाते। और एक बात आप ने बताया किसको अच्छा लगता है कोई शब्द तो किसीको नहीं। It is not a matter of liking or disliking, it is a matteer of improper use of expression. सब लोग यही कहना चाह रहे हो बिना कहे, बिना उम्मीद के, बिना मांगे जो स्पर्श मिलता है , और मुझे भी ये पहले से पता है, लेकिन इसको अनकहा नहीं कहते। कभी कहा न गया स्पर्श कुछ होता ही नहीं। इसका मतलब ही बदल जाता है। कहने के साथ शब्द जोड़ते है नाकि स्पर्श। बिना कहे सही है लेकिन अनकहा, स्पर्श के साथ सही प्रयोग नहीं है। You are trying to say It is your kindness that you appreciate the feelings. I also do but I oppose for less expressible words when it can be conveyed with better expressible words.

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  10. Respected Madhumita Ji ! Thanks
    I understand the emotion, touch etc etc alongwith togetherness and apart, the happiness and sorrow behind it. I never flow with sorrows but trying to find out the root cause behind it. It is my passion. So I feel that word of expression should be proper.

    अनकहा [ankaha] {adj. m} (also: न कहा हुआ unsaid {adj.}स्पर्श or untold touch grammatically incorrect in hindi and english.

    यहाँ 'बिना कहे' और 'अनकहा ' पर्यावाची शब्द नहीं है। पर्यावाची शब्द के अलग अलग मतलब नहीं होते। यहाँ अलग अलग मतलब है। आप को इतनी सी बात क्योँ समझ में नहीं आ रही है। मुझे 'अनकहा' शब्द बुरे नहीं लगते, जहा सही है वहां इस्तेमाल करें। यहाँ 'बिना कहे; मतलब बिना मांगे, बिना उम्मीद के कहना चाह रहे हो। अब सोचो ये क्या अनकहा शब्द के पर्यबाची बिना उम्मीद के होता है। "जो कभी कहा न गया हो' और 'बिना उम्मीद के' कहाँ से एक जैसे शब्द लगते हैं ?

    आप की और एक बात का जवाब देना चाहूँगा, प्रतम श्रेणी में भी कोई बच्चा गलती करता है तो उसे कली समझ के पुरे मार्क्स नहीं दिए जाते , या फूल बनने तक इनेज़र किया जाता है और रितु कोई बच्ची नहीं है की उसे शिखया जाये , केबल मेने बताया की कहाँ सही शब्द का इस्तेमाल नहीं हुआ ।

    I do not want to hurt the emotion of the poet, I am not analysing her emotions, feelings or in person but the word of expession.

    सादर प्रणाम

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  11. मधुमिता शर्माMarch 6, 2013 at 6:40 PM

    सरोज जी, लगता है कि आप कुछ अधिक व्यग्र हो चुके हैं जोकि विषय को इतना ज्यादा खींच रहे हैं कि लेखिका का मनोबल ही डगमगाने के कगार पर है! आगे मैं रितुमाला के व्यक्तिगत विस्तार के बारे में बिलकुल नहीं कहा है और जो भी उपमाएं मैंने दी हैं वह उनके लेखन के लिए हैं| आप उनके व्यक्तिगत परिचय को भी सार्वजनिक कर बहुत अपमानित कर रहे हैं जोकि एक बहुत निंदनीय कार्य है और मुझे इतनी उग्र भाषा का प्रयोग करने पर मजबूर कर रहा है| शायद आप को समझ नहीं आया मैंने जो लिखा था एक बार और पढ़ें और विचार करें कि क्या आपकी टिप्पणी उचित है?

    नोवोदित लेखन को जो कि अभी एक मासूम कली की तरह है उसे एक प्रतिष्ठित लेखन, एक खुशबू भरे फूल, में विकसित होने में सहायता करें न कि कली को फूल बनने से पहले ही कुचलें!

    इस पूरे वाक्य में रितुमाला के कली या फूल नहीं कहा और न ही बच्ची या कुछ और कहा है! वरन उनके लेखन के बारे में उपमाएं दी हैं| आप अपने विचार को सही सिद्ध करने के लिए अपनी मित्र को सार्वजनिक रूप से इतना अपमानित कर सकते हैं एसा सोचने में भी तकलीफ़ होती है!

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  12. I accept, I misunderstood your comments regarding the matter of कली या फूल, I dont want to comments on her emotion or feelings as I told before, I am not analysing the same. Also I didnt disclose her personal identity. If using कली या फूल hurts her then I am extremly sorry. It is my fault that I dont want my friends make small mistakes. Try to read all my cooments I specifically focus on the words not on the poet except in a sentence (वो भी जब मुझे लगा आप उसके बारे में लिख रहे हो).

    आप से भी एक शिकायत है - गलतियाँ बताके सुधार किया जा सकता है, केबल प्रशंशा करने से नहीं। मै भी गलतियाँ करता हूँ लेकिन जहाँ मुझे logic समझ आये तो मै उसे ठीक भी करता हूँ। लेकिन जैसे आप, सरल शब्द में समझाने के बाद भी "जो कभी कहा न गया हो' और 'बिना उम्मीद के' पर्यावाची शब्द मान रहे हो. और 'जो कभी ना कहा गया हो' उसे स्पर्श के साथ जोड़ रहे हो। ये बेहद दुख की बात है। बुरा मत मानिये ये भी आप शब्द को अपमानित कर रहे हो और उन भावनाओं को भी, जिनको आप सही तरीके से ब्यक्त नहीं कर पा रहे हो। अनकहा शब्द और अनकहा स्पर्श similar sounding words है इसीलिए शायद आप को सही लगता है। गलत इस्तेमाल से भावनाओं का मजाक बनता है। dont take personally, I am analysing the words only.

    read again

    That's the different. 'बिना कहे' और 'जो कभी कहा न गया हो' both are different, 'बिना कहे' means without asking for or UNPROMPTED or SILENTLY and अनकहा means which is never been told before. AGAIN-- YOU SAY SOMETHING OR NOT to SAY SOMETHING means YOU 'say' a word or sentence not say a touch. If touch is never spoken (unspoken touch) then it means "Touch" the word is never spoken.
    Speak is the verb for noun 'word'; not for the 'touch'. Can you speak a touch or unspoken a touch.
    'बिना कहे' को 'अनकहा' नहीं कहते, जो कभी कहा न गया हो उसे अनकहा कहते हैं, I know from the day the bolg was published that 'बिना कहे' कहना चाह रहे हो लेकिन अनकहा लिखे जा रहे हो. यहाँ 'बिना कहे; मतलब बिना मांगे, बिना उम्मीद के कहना चाह रहे हो। "जो कभी कहा न गया हो' और 'बिना उम्मीद के' कहाँ से एक जैसे शब्द लगते हैं ? जो कभी कहा न गया हो वो शब्द होता है स्पर्श नहीं। शब्द के गहराई जाइये आप को भी समझ आ जायेंगे की या तो भावनाए कुछ और नज़र आएंगे या तो शब्द। आप सोच रहे होंगे एक शब्द के पीछे क्योँ पड़ गया हू। मतलब ही बदल जाता है। भावनाओँ को सही शब्द दोगे तभी मेहेकेगा।


    प्रशंशा के साथ साथ समीक्षा भी करना चाहिए वरना गलतियाँ जारी रहेंगे। वो भी श्रेय प्रशंशक को मिलेगा। आलोचना जरूरी है सुधार के लिए।

    मधुमिता जी

    आप को एक उदहारण देता हूँ, घर में जो इस्तेमाल होता है 'पेचकस' और 'प्लास' के बारे में जानते होंगे, जरा मुझे लिख के बतायें आप किसीको लिख के येही सामान मंगना चाहोगे तो हिंदी में कैसे लिखोगे।
    Plz. reply

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    1. मधुमिता शर्माMarch 7, 2013 at 12:29 PM

      सरोज जी, आपके सुझावों से न तो लेखिका और न ही पाठक असहमत हैं सभी ने आप के सुझाव को समझने की कोशिश की है और लेखिका ने अपने पहले उत्तर में ही भविष्य में ध्यान रकने की बात कही है. आप सही हैं पर इससे यह तो नहीं माना जा सकता कि और कोई सही हो ही नहीं सकता| जैसे कि आप अपने बारे में आश्वस्त हैं मैं भी हूँ| अब इस विषय को और न खींचा जाए तो अच्छा है नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि पजामे की इलास्टिक इतनी खिच जाए कि टूट ही है और कहीं पायजामा ही न नीचे आ जाए.....यह एक हँसी मजाक भरा उदहारण है और आपसे अपेक्षा है कि भावार्थ को समझेंगे और विराम देंगे! मैं इस विषय पर आगे लिखने में बहुत खीज महसूस कर रही हूँ. इति!!!

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    2. देखिये मधुमिता जी , अगर आप आश्वस्त हैं ये शब्द 'अनकहा स्पर्श' को लेकर इसका सरल अर्थ बताये और लॉजिक के साथ। और आप किस भावना के साथ 'अनकहा स्पर्श' को जोडेगें।

      आपकी लेखन शैली और मजाक दोनों अच्छे हैं, लेकिन शब्द और पैजामा तुलनात्मक बिषय नहीं हैं, शब्द में कोई लचीलापन नहीं होता, जैसे रासगोला और ईट में कोई comparison नहीं किया जाता। उदहारण सही पेश करें।

      मै अगर गलत हूँ तो भी मुझे कोई दुःख नहीं होता अगर मुझे सिखने को मिले।

      दयापुर्वक सिर्फ शब्द के बारे में लिखें।

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  13. आप सभी से अनुरोध है प्लीज पहले ध्यानपूर्वक पूरा पढ़ें और उसके बाद आवश्यक समझें तो प्रतिकिर्या दें

    १. अनकहा स्पर्श सटीक शब्द है इस जगह पर - मुझे ऐसा लगता है के यहाँ पर अनावश्यक रूप से लेखिका की आलोचना करने का प्रयास किया जा रहा है | क्यूँकी सबसे पहली बात तो यह है की लेखकों को काफी हद तक शब्दों के चयन की छूट दी जा सकती है ताकि वो अपने मन की कोमल भावनाओं को न सिर्फ प्रभावशाली अपितु सुंदरतम शब्दों में व्यक्त कर सके | हमेशा से ही ये स्वतंत्रता रचनाकारों को दी जाती रही है ,शब्दों को ना सिर्फ तोड़-मरोड़ के उपयोग किया जाता रहा है वरन कई ऐसे शब्द भी उपयोग किये गए जिनका के भाषा मे या यूँ कहें के व्याकरण मे कोई अस्तित्व था ही नही और यही नहीं अन्य दूसरी भाषाओं के शब्दों का भी अपनी रचनाओं मे कवी एवं लेखक इस्तेमाल समय- समय पर करते रहे हैं |
    रही याहाँ पर अनकहे स्पर्श का उपयोग करना तो मेरी अपनी राय ये है के लेखिका जो कहना चाह रही है उसके लिए इस से अधिक उपयुक्त और सटीक शब्द सुझाई नही देता , ध्यान दें के याहाँ अनपेक्षित शब्द का इस्तमाल बिलकुल ही गलत होगा, आलोचक सरोज जी कहना चाह रहे हैं के अनपेक्षित शब्द का अर्थ बिना कहा या बिना बताया स्पर्श होता है ( ०१ मार्च - अनपेक्षित स्पर्श. बिना कहे या बिना बताये स्पर्श को 'अनपेक्षित स्पर्श' कहे सकते है ) जो की पूरी तरहा से गलत है | अनपेक्षित स्पर्श का अर्थ हुआ वो स्पर्श जिसकी अपेक्षा ही ना की गयी हो यानी उम्मीद ना की गयी हो और यह भी ध्यान दें के लेखिका यह नही कहना चाह रही है बल्कि वो अनकहा स्पर्श से वो यह कहना चाहती हैं के वह स्पर्श जिसकी के अपेक्षा ( उम्मीद ) तो की गयी उनके द्वारा पर ऐसा करने के लिए कहा नही गया यानी के मांग नही की गयी ऐसा करने की उनके द्वारा | और यह बहुत नेचुरल व्यावहार होता है प्रेम की स्तीथी मे हम अपेक्षा तो रखते हैं पर अक्सर कहते नही है दुसरे को ऐसा करने के लिए और जब बिन कहे, बिन मांगे हमे वो प्रेम वो स्पर्श मिल जाता है तो हमारी आत्मा तक को तृप्त कर जाता है | अतः मै ऋतू जी को बधाई देना चाहूँगा के उन्होंने इस शब्द का न सिर्फ सही और सटीक उपयोग किया है बल्की संभवतया ये इस संदर्भ मे इतनी खूबसूरती के साथ पहली बार ही उपयोग किया गया है | |

    ०२ - किसी की आलोचना करने से पहले कृपया कई बार विचार कर लें - मेरा अनुरोध है सभी पाठकों से के किसी की तारीफ कभी भी कहीं भी बिना सोचे -विचारे की जा सकती है पर किसी की आलोचना करने से पूर्व हज़ार बार सोचें के कहीं आप गलत तो नही कर रहे | आपकी व्यर्थ की आलोचना किसी को बेवजह मानसिक कष्ट दे सकती है , जो चीज़ भावनाओं से जुडी हो उसमे दिल से काम लीजिये बेवजह व्याकरण मे ना घुसें और फिर आप स्वतंत्र है किसी को पढने या ना पढने के किये, अच्छा लगे पढ़िये नही तो रहने दीजिये परन्तु लेखेक की स्वतंत्रता मे दखल ना करिये , अपनी बात कहने के लिए उसे जो शब्द उपयुक्त लगे इस्तेमाल करने दीजिये क्यूँकी आखिरकार आपसे बहतर तो वही जानता -समझता है के वह क्या कहना चाहता है | गलतियां बताएँ पर मकसद प्रोत्साहित करने का हो , लेख या कविता को और बहतर बनाने के लिए | इंसानियत का तकाजा है हर कोशिश करने वाले का मनोबल बढाया जाए ताकि वह अगली बार और बहतर करने का प्रयास करे ना की स्वयं को अयोग्य मान कर प्रयास करना ही छोड़ दे |

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    1. धन्यवाद, मैं यही चाहता था कि कोई तो बताये जो लेखिका ने लिखा है उसको कितने अलग अलग तरीके से समझा जा रहा है।
      1. Ritumala ji :अनकहा स्पर्श,......वो उम्मीद के बिना का स्पर्श (unexpected)
      2. rajiv Dhaka ji :- Bina Kahe (without asking for)
      3. Madhumita ji : जब कोई व्यक्ति व्यथित होता है तब वह न तो जान सकता है और न ही कह सकता है (speechless)
      4. Sunil Rana Ji : वह स्पर्श जिसकी के अपेक्षा ( उम्मीद ) तो की गयी उनके द्वारा पर ऐसा करने के लिए कहा नही गया यानी के मांग नही की गयी (expecting but not demanded)

      That is why I told before :

      The tone of a poem is often used to influence its emotional impact beyond the literal meanings and sounds of the words, but improper use of words is likely to fail to evoke the specific emotional response intended by the poet.

      Carry on Ritu ! I quit here !

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  14. कभी बंधन जुडा लिया ,कभी दामन छुडा लिया .....ओ मितवा रे ....कैसा सिला दिया ये वफ़ा का कैसा सिला दिया
    फिल्म - हम तुम्हारे हैं सनम
    गीतकार - कार्तिक अवस्थी
    गायक - सोनू निगम और सपना अवस्थी

    मै बस ये कहना चाहता हूँ के अभी अभी मैंने ये गाना सुना ,ध्यान दें बंधन जुडा लिया पर.......जुडा लिया .....क्या ऐसा कोई शब्द हिंदी में प्रयोग किया जाता है बोलचाल में और अगर हाँ तो क्या आपके अनुसार यह शब्द व्याकरण के आधार पर सही कहा जायेगा | बिलकुल नही पर गीत की लय को बनाये रखने के लिए गीतकार ने दामन जोड़ लिया के स्थान पर जुडा लिया शब्द का प्रयोग किया ताकि उसकी लय और ख़ूबसूरती बनी रहे | गीतकार का मकसद अपनी बात दुसरे तक बहतर रूप में पहुंचाने का है और सही गलत का ज्ञान तो उसे भी रहा ही होगा | और सिर्फ यही नही काव्य में ऐसा होना बहुत आम बात है अत: इस बात को इतना तूल ना दें और लेखिका के भावों का आनंद लें |

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    1. सुनील जी आप को वही समझ आया जो गीत में लिखा गया है। मैं भी वही चाहता था की वही समझा जाये जो सच में कहना चाह रहे हो। भावों का आनंद तभी आता है जब सही शब्द के साथ पेश किये जाये। अलग अलग भावनाओं के साथ नहीं उसी भावनाओं के साथ जो कहना चाहेते हो।
      See my first comment was "good one" then I said "Do you think these words justify your expression/feelings properly ???
      I definitely appreciate her inner feelings but...

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  15. मधुमिता शर्माMarch 7, 2013 at 6:08 PM

    प्रिय सुनील जी, आप के विचार जान कर बहुत सुकून मिला| ऐसा नहीं है कि केवल मेरे विचारों के समरूप आपके विचार हैं इस लिए सुकून हैं वरन इस लिए कि साहित्य लेखन की शुरुआत को एक बहुत ही नाजुक तरीके से टिप्पणी करना एक साहित्यिक सोच रखने वाला ही दी सकता है नाकि एक तटस्थ विचार रखने वाला व्यक्ति! सरोज जी के उदहारण पेचकस, प्लास, कम्प्यूटर, पेन ड्राइव, हरा आकाश, सफ़ेद पेड़ और न जाने क्या क्या के हिंदी में लिखने को कहने और हमारे हिन्दी ज्ञान को परखने के कोशिश करना मेरी समझ से परे है|

    उनका यह कहना कि "मै अगर गलत हूँ तो भी मुझे कोई दुःख नहीं होता अगर मुझे सिखने को मिले।" बहुत कष्टकारी है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम सभी उनको गलत सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं| जबकि उनको गलत किसी ने नहीं कहा है बस यह कह रहे हैं कि सरोज जी आप भी सही हैं और बाकी सब भी सही हैं| एसा नहीं हो सकता कि केवल एक ही सही हो सकता है, बाकी और भी सही हो सकते हैं| यह सोच का अंतर है - हम सभी, सरोज जी के अलावा, सकारात्मक सोच रखने वाले प्रतीत हो रहे हैं -- एसा इस पूरे ब्लॉग को अब पढने वाला पाठक महसूस करेगा|

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    1. Congratulation for have an positive/optimaistic view, (I am a realstic) but lets analyse by reading my comments where everybody express with different meanings.

      मधुमिता जी बुरा मत मानिये आपके हिंदी परख नहीं रहा था, मुझे सिर्फ ये बताना था शब्द कैसे अपभ्रंश हो जाते हैं , और उसे हम सही मानते हैं, मैं वही शब्द आपको लिखने को कहा था, और ये जानना चाह रहा था की ब्लूटूथ , पेन ड्राइव जैसे नया शब्द का जेंडर कैसे चुनते हैं। लेकिन मुझे जबाब नहीं मिला। आप को भी शायद पता हो तो बताना जरूर।

      अब मुझे इस बात की दुःख है की आप लोगों ने एक शब्द के कई मतलब निकाल लिए जो वो कहना चाह रही थी उस्से अलग। और फिर भी प्रशंशा करके उसे और भी गलतियाँ करने के लिए प्रोस्याहित कर रहे हो।
      Ritu ji explained as :अनकहा स्पर्श,......वो उम्मीद के बिना का स्पर्श (unexpected)
      2. Rajiv Dhaka ji :- Bina Kahe (without asking for) (NEAR SIMILAR THOUGHT)
      3. Madhumita ji : जब कोई व्यक्ति व्यथित होता है तब वह न तो जान सकता है और न ही कह सकता है (Person is speechless) (TOTALLY DIFF)
      4. Sunil Rana Ji : वह स्पर्श जिसकी के अपेक्षा ( उम्मीद ) तो की गयी उनके द्वारा पर ऐसा करने के लिए कहा नही गया यानी के मांग नही की गयी (expecting but not demanded) (He is trying to justify the word is most suitable word, but sorry to say that what he describe is just like east and west thought what the writer trying to express)

      Plz. dont take it personally, What you understood U said that.

      मेरा केहना सिर्फ यही था की लोग अलग अलग मतलब निकालेंगे , आप लोगों को धन्यवाद, आप लोगों ने जी जान लगा कर प्रसंशा की और अलग अलग मतलब निकाले। आप अपनी जगह बिलकुल सही हो।

      If an expression of words doesnt match with feelings of the writer, then choose an appropriate words which exactly express the feelings. I am not an literature expert, but I am interested in analysing the depth of every words and its meaning.

      From the day one I understand what she is trying to say,but the words are inappropriate and I said her, the meanings will be different for diff person.

      And Thanks to everybody who share his/her thought and express in different way and support me to prove which I told before.

      Madhumita ji, Even if you dont understand the impact of an error try to reply 'पेचकस' और 'प्लास' हिंदी में कैसे लिखोगे। Plz. Plz. reply. आपको अच्छा नहीं लग रहा होगा की मैं क्योँ कह रहा हूँ फिर भी plz,

      Also I request everybody not to take personally if anythings hurt you, I am sorry.

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  16. Dear Saroj Jee, Lets have one to one:

    The sentence written by you should have been written like this:

    Congratulations for having an optimistic/positive view, (I am realistic/ I am a realistic person) but lets analyse by reading my comments where everybody derived different meaning of word “Ankaha Sparsh”.


    सरोज जी बुरा मानने का तो प्रश्न ही नहीं है! किसी ने आप की बातों को बुरा कहाँ माना है! इस संसार में कोई भी एक सामान सोच वाला जीव ईश्वर ने बनाया ही नहीं है तो एक जैसा सोच कैसे सकते हैं? हिंदी ऐसी भाषा है जिसमें बहुत सी भाषाओँ के शब्दों को समाहित कर लिया गया है और निरंतर गति से इसमें शब्द जुड़ते जा रे हैं! हर पांच कोस पर भाषा का स्वरुप, उच्च्चारण बदलता रहता है – किसी को गुस्सा आता है और किसी को गुस्सा आती है! और जहाँ तक आप ये जानना चाह रहे थे की ब्लूटूथ , पेन ड्राइव जैसे नया शब्द का जेंडर कैसे चुनते हैं उसका जवाब शायद सुविधानुसार प्रयोग कहा जा सकता है परन्तु व्याकरण में इस तरह के सभी विषयों के लिये नियत मानदंड परिभाषित हैं जो कि किसी प्रतिष्ठित शब्दकोष में साधारणतया मिल जाते हैं! कृपा कर व्याकरण सम्बन्धी अन्य शंकाओं को दूर करने के लिए उनका अध्ययन करें तो शायद आप अपने आप को आश्वस्त कर सकें क्योंकि इतने दिनों से चार पाठक आप को अपने अपने तरीके से समझाने की कोशिश कर चुके हैं पर आपका प्रश्न कुछ और ही है जो कि आप कह नहीं पा रहे हैं| (अनकहा प्रश्न)


    आप दुखी बिलकुल न हों! आप भी ठीक हैं, आपको गलत किसने कहा बस सभी पाठक यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि आलोचना के साथ प्रोत्साहन ज्यादा ज़रूरी है! सभी ने अलग अलग मतलब निकाले आप को यह लग रहा है वरन वस्तुस्थिति तो यह है कि सभी ने आपको अलग अलग तरीके से समझाने की कोशिश की है!


    Had you understood what she was trying to say but the words were inappropriate and you said to her that the meaning will be different for different persons you could have suggested appropriate word for her expressing her feelings which you thought were appropriate for her expression.

    आपके प्रश्न में ही आपका उत्तर समाहित है सो मैंने उत्तर देना उचित नहीं समझा| आपने सही ही लिखा है “पेचकस” और 'प्लास’ को हिंदी में “पेचकस” और 'प्लास’ ही लिख सकते हैं|


    You have written:
    Also I request everybody not to take personally if anythings hurt you, I am sorry.

    It should have been written like this:

    Also I request everybody not to take it personally, if anything has hurt you, I am sorry.

    You should not at all be sorry as none of us has taken it personally but all of us have just taken the other path of bucking up the poet in her writing. While the poetess had already accepted your suggestions, these lengthy discussions, I am sure would conclude that Amir Khan is (you are) going to make yet another movie “4 Idiots” (taking us 4 – 1 poetess –Ritumala g and 3 others, including Sunil g, Rajeev g and myself as idiots) ( g and ji are in no way correct words or letters to show respect in writing in English but I felt like using these which I am sure can be misunderstood by different persons in different way – let them think – मेरी बला से|

    Furthermore, you have the guts to criticise the mistakes but not to appreciate the good efforts. Had you been positive towards the efforts you could have posted at least one comment each on her other blogs specially the “Women’s Day” blog. ------------- Now, this you should take it personally.

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    1. Thanks Madhumita ji
      मेरा प्रश्न कुछ था ही नहीं, मैं सिर्फ येही सुझाब दे रहा था की वही शब्द इस्तेमाल करें जो पूरी तरह से उसी भावना को प्रतीत करे जो आप कहना चाह रहे हो। आप लोगों को धन्यवाद आप लोगों ने मेरा साथ दिया। मुझे तो पहेले ही पता था वो क्या कहना चाह रही थी, इसीलिए शब्द बिश्लेषण पर ध्यान था, आप लोगों ने जितने गहराई में गए उतने ही दुर होते गए मूल भावना से। बुरा मत मानिये आप तो बिलकुल ही दुर थे।

      गौर करें, रितु ने लिखा :-

      "अनकहा स्पर्श,......वो उम्मीद के बिना का स्पर्श ,जो चाहे माँ का हो, बच्चे का या अपने प्रिय का,.........एक मन को सुकून , शान्ति और शरीर में अजीब सी सिहरन दे देता है...जो उन उम्मीदों से परे होता है, जिसकी हम उस वक़्त कल्पना भी नहीं करते, और हमे बिना कहे, बिना छुए ,बिना देखे ही मिलता है और अजीब सा एहसास दे"

      समीक्षा :- रितु ने लिखा :- वो उम्मीद के बिना, और हमे बिना कहे,

      आप ने समझाया : - जब कोई व्यक्ति व्यथित होता है तब वह न ही कह सकता है

      मधुमिता जी यहाँ तो दो अलग अलग भावना जाहिर हो गए। आप दोनों ने स्पर्श और परिस्थिति समझाने में बिलकुल एक हो लेकिन 'अनकहा' समझाने में अलग अलग भावना के बारे में बता गए।

      इससे ज्यादा साफ़ शब्दों में मैं भी नहीं समझा सकता।

      I am quitting here about the topic.

      आपको अजीब लगा था जब मैने “पेचकस” और 'प्लास’ लिखने को कहा था, “पेचकस” नहीं 'पेंचकश' या 'पेंचकस ' होता है। लेकिन ये मैंने जान बुझ के गलत लिखा था। और आप को इसमें गलत नहीं कह्सकता। 'प्लास’ शब्द एक अपभ्रंश शब्द है, सही शब्द pliers होता है। देखिये कितने सालों से ज्यादातर लोग इसे 'प्लास’ ही कहते है। अपभ्रंश शब्द इस्तेमाल करते करते हम लोग सही शब्द को भूल जाते है। कोई हमें टोक दिया होता तो शायद ये गलती न करते।
      This is the impact of an error.
      That's why I didnot comments on her next blog. But I wish her the most appreciable writer/blogger.

      सुधार एक बेहतरीन परिणाम देता है।
      I am quitting here.
      Best wishes to all of you

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    2. MADHUMITA JI, MALE EGO KA KOI KYA JAWAAB DE. AAP NAHAK HI APNI ENERGY WASTE KAR RAHI HAI, JO LOG KAVITA PADHNE KE BAAD KAVITA KE BHAVON KI CHARCHA KAREIN KEWAL UNSAY BAAT KIJIYEGA. ISS KAVITA KO PADHNE KE BAAD MERE BACHPAN KI YAADEIN LAUT AAYI HAI,MAA KA SNEH, MAA KA LAAD, MA KI MAMTA, MA KA DULAR ETC. AUR KYA KAHOON. MANN KARTA HAI BACHCHAA HI RAHTA TOH ACHCHHA THA. AANKHON MEIN AASOON AUR HRIDAYA MEIN EK TEES UTHATI HAI JO BAHUT HI ZYADA SAKOON DETI HAI, KAVITA KO PADHTE HUYE MERI KALPNAAO MEIN AUR MEIN BHAAVNAO MEIN KOI SHABD NA HOKAR EK MAATRITVA KA BHAAV THA AUR HAI. ISSLIYE MAINE KEWAL EK HI COMMENT KIYA THA AUR BAAKI COMMEMNT PADHKAR MAINE DEKHA KI DUNIYA MEIN KUCHH AISE LOG BHI HAI JINKE BHEETAR BHAAV NAHI UTHTE.
      YE COMMENTS KEVAL MAINE MADHUMITA JI KO LIKHE HAI, KRIPAYA KARKE ISS COMMENT PAR KOI COMMENT NA KARE. LEKIN MUJHE VISHWASH HAI KOI EK TOH HAI JO ZAROOR COMMENT KARNA CHAHEGA KYONKI MALE EGO HOTI HI AISI HAI.............

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    3. BAHAS BAHUT LOGON KO KARNI AATI HAI, AUR BAATCHEET BAHUT KAM LOGON KO

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  17. ritu dear tumne jo likha hai wo kaabile taareef hai, me bhi saroj ki tarah tumhe vyaktigat tor par jaanti hu,
    ek kadwa sach kehna chahungi saroj ne tumhe jo sujaaw diye hain wo bilkul sahi hain aur tumhe aise sujhaawo par vyathit nahi hona hai balki swasth maansikta se use sweekar karna hai
    eksachcha dost humari galtiya isliye batata hai ki hum bhawishya me aur behter kar sakein,
    keep it up

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    1. Dear Baljeet, apne dost ke pahle hi comment par,"aapke kahey ka dhayaan rakhaa jaayega"maan chuki hoon and I also justified my lines too, which I thnk u didnt read.aur main bilkul vaythit nahi hoon,.......!!!!

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