Wednesday, March 6, 2013

शास्त्रों में लिखा गया है.."यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते --रमन्ते तत्र देवताः
अर्थात जहाँ नारी का आदर सम्मान होता है, वहीं देवताओं का वास होता है
इस बात का बहुत महत्व है क्योंकि  ...समस्त लोकों की रचना करने वाले ईश्वर ने भी नारी के अलावा कोई ऐसा रत्न  नहीं बनाया , जो देखने, सुनने, स्पर्श और स्मरण  करने पर भी मनुष्य को आनंद से भाव विभोर करने वाला हो, ...जिसके लिए मान ही उनका धन और संग्रह होता है, इसलिए हर जगह उस नारी का सदैव आदर होना चाहिए !
गृहस्थ की मूल संचालिका शक्ति "माँ"पर निर्भर होती है, वस्तुतः भारतीय संस्कृति में परिवार संचालन, बच्चों का पालन-पोषण  और मुख्य गृहस्वामिनी ---नारी जाति पर ही निर्भर है और अनंत काल तक रहेगा .....और मातृवर्ग ही क्यों,  हमारा भारत नारी शक्ति का उपासक भी रहा है, हमारे शास्त्रों में माता  के सामान कोई गुरु नहीं है|
रहीम जी के दोहे ….‘जिय बिनु देह नदी बिन बारी, …तैसी अनाथ पुरुष बिन नारी!!!’  के अनुसार नारी पुरुष के बिना अनाथ  है|
पर आज की २१वीं सदी की नारी पुरुष बिन अनाथ कदापि नहीं है| ......परन्तु  यह  कहना भी  उचित नहीं होगा के उसके बिना वह पूरी  है... नर पौरुष  का और नारी  प्रकृति  का प्रतीक है....वास्तविकता में एक के बिना दूसरा अधूरा है ....दोनों के कर्तव्य अलग अलग होने पर भी.....वे लोग एक ही शरीर के दाहिने और बाहिने अंगों की तरह क्रियाशील माने गए हैं.... और यह माना भी गया है की नारी हमेशा से ही पुरुष की छत्र छाया में अपनी सहनशीलता और गरिमा का विस्तार करते मिली है,... पुरुष ही पत्नी का आश्रय लेकर स्वयं ही पुत्ररूप में जन्म लेता है..........नारी को स्नेह और धैर्य से भरा माना गया है..........उस जल की तरह ,जिसे जिस पात्र में डालो वो वैसा ही रूप ले लेता है.....बिना किसी सवाल-जवाब, संकोच और किसी भी उम्मीद के ……, लेकिन ये भी तभी तक है ,,,, जब तक पुरुष उसके किसी भी रूप को ना आजमायें...... अन्यथा इसी नारी का  सुकोमल मन  कब , कठोर, निर्दयी हो जाता है, पता ही नहीं चलता.!!!! क्योंकि इसी नामधारी पुरुष की दुर्बलता, कठोरता और निर्ममता के कारण आज वह  असुरक्षित हो चुकी है..जबकि हमारे समाज में नारी  की सुरक्षा का भार पुरुष पर ही छोड़ा गया है! उस पुरुष को  अपने  पौरुष के साथ यह भी  पता होना चाहिए कि,,,,,..
मैं
ही हूँ वो नारी’...मुझ सा श्रेष्ठ संसार में कौन है.? सारा जगत ही मेरा कर्मक्षेत्र  है-
मैं स्वाधीन भी  हूँ क्योंकि मैं अपने अनुसार कर्म भी  कर सकती हूँ...लेकिन अत्याचार के द्वारा किसी  की भी शक्ति का प्रयोग नहीं करती!!!!!!!!!
मैं जगत में किसी से भी नहीं डरती, क्योंकि मैं महाशक्ति दुर्गा और काली का अंश भी हूँ....
मेरी शक्ति पाकर ही मनुष्य शक्तिमान है....पुरुष  दम भरता है कि मैं जगत में प्रधान हूँ, बड़ा  हूँ, किसी की परवाह नहीं करता !!!! वह  कभी आकाश में उड़ता है, कभी समुन्दर में डुबकी लगाता  है और कभी अपने पुरुषत्व का दुरूपयोग और मर्यादा का उल्लंघन  करता है, लेकिन मेरे सामने वो भी छोटा ही है  क्योंकि मैं उसकी "माँ" हूँ !!!!!
उसके रौद्ररूप को देखकर कभी लाखों कांपते हैं
, परन्तु मेरी एक उंगली हिलाते ही वह चुप हो जाने के लिए बाध्य भी है …..मैं उसकी  माँ  केवल असहाय-बचपन में ही नहीं..... हमेशा और हर जगह  निरंतर एक शिक्षक की तरह  हूँ..!!
गर्वित
मनुष्य जब सिंह, बाघ की तरह अधिक सिंहक हो जाता है, किन्ही  बुरी संगति या कठोरता की वजह से जब उसकी कोमल इन्द्रियाँ भी सूख जाती हैं..और जब वो एक राक्षस रुपी कार्य करता है,...तब मैं ही कहीं कहीं उसकी सहधर्मिणी और माता  बनकर उसका ह्रदय कोमल करती हूँ...मेरी शक्तिऔर प्रेम अनंत है.!
पुरुष के अभाव में संसार चल सकता है ,,, परन्तु मेरे अभाव में अचल हो जाता है……सब रहने पर भी कुछ नहीं रहता!!!
मैं
पढ़ती हूँ....संतान और दूसरों को शिक्षा देने के लिए...
मैं
सीखती हूँ...सिखाने और सृजन के लिए...
मैं
एक आकाश की तरह --- आश्रयदायिनी...वायु की तरह जीवनदायिनी  और जल की तरह --दूसरों को अपना बनानेवाली  हूँ .....
और मैं उन सब अनकही 
उम्मीदों, और अनकहे  स्पर्श की तरह भी  हूँ,.... जो सुख-दुःख, और परेशानी के लम्हों में सुकून और उत्साह देता है! 
मेरा धर्म नारीत्व और मातृत्व  है ....क्योंकि मैं ही केवल अपने पतिकुल और पित्र्कुल दोनों को दया, प्रेम, परिश्रम, और स्वार्थ-त्याग की प्रतिभा से संभालती हूँ ..... उस धरापृथ्वीकी तरह जो करोडों इंसानों को लाखों वर्षों से सहनशीलता, उदारता के साथ अपनी गोद में समेटे हुए  है..........अपने अनंत प्रेम और विश्वास के साथ ..... और इतनी "मैं " होने पर भी मेरा अस्तित्व अनंत है पर अदृश्य नहीं....!!!!!!!!Happy women’s day!!!!!!!!!!!!


13 comments:

  1. नमो नाम:, स्त्री शक्ति को सादर प्रणाम! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!!!
    अतिउत्तम!!! बहुत तीव्र गति से रचनाओं में सुधार आता प्रतीत होता है! बधाईयाँ!!!!

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    1. शुक्रिया ....आप लोगों के प्रोत्साहन का ही फल है!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  2. Women Rocks!!! Happy Womens Day.....

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  3. मधुमिता शर्माMarch 6, 2013 at 7:10 PM

    रितुमाला जी, आपके इस लेखन को साधुवाद| बहुत प्रशंसनीय प्रयास है| कहा भी गया है, करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान.... रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान... और फिर आप तो शक्ति का स्रोत हैं ....नाकि जड़मति, रसरी या सिल| सारी उपमाएं केवल आपके लेखन के लिए हैं नाकि आपको कली, फूल या बच्ची साबित करने के लिए|

    एक बात और, आपके मित्र सरोज जी की टिप्पणी से मैं बहुत आहात हुई हूँ और मैंने उनको बहुत उग्र जवाब लिखा है जोकि मैं यहाँ भी वर्णित कर रही हूँ| आशा है आप भावनाओं को समझेंगी और इसको अन्यथा नहीं समझेंगी|



    सरोज जी, लगता है कि आप कुछ अधिक व्यग्र हो चुके हैं जोकि विषय को इतना ज्यादा खींच रहे हैं कि लेखिका का मनोबल ही डगमगाने के कगार पर है! आगे मैं रितुमाला के व्यक्तिगत विस्तार के बारे में बिलकुल नहीं कहा है और जो भी उपमाएं मैंने दी हैं वह उनके लेखन के लिए हैं| आप उनके व्यक्तिगत परिचय को भी सार्वजनिक कर बहुत अपमानित कर रहे हैं जोकि एक बहुत निंदनीय कार्य है और मुझे इतनी उग्र भाषा का प्रयोग करने पर मजबूर कर रहा है| शायद आप को समझ नहीं आया मैंने जो लिखा था एक बार और पढ़ें और विचार करें कि क्या आपकी टिप्पणी उचित है?



    नवोदित लेखन को जो कि अभी एक मासूम कली की तरह है उसे एक प्रतिष्ठित लेखन, एक खुशबू भरे फूल, में विकसित होने में सहायता करें न कि कली को फूल बनने से पहले ही कुचलें!

    इस पूरे वाक्य में रितुमाला को कली या फूल नहीं कहा और न ही बच्ची या कुछ और कहा है! वरन उनके लेखन के बारे में उपमाएं दी हैं| आप अपने विचार को सही सिद्ध करने के लिए अपनी मित्र को सार्वजनिक रूप से इतना अपमानित कर सकते हैं एसा सोचने में भी तकलीफ़ होती है!

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  4. And happy womens day.......hats off to all women working for the upliftment of our society.
    ............

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  5. RITU TUM NE THEEK KAHA. AAJ KE YUG MEIN KUCHH HALAT BADAL GAYE HAIN AUR NARIYON KA ROLE BHI BADAL GAYA HAI. AB VOH GHAR TAK SEEMAT NAHIN HAIN AUR VE AB GHAR SE BAHAR AA GAYEE HAIN. MAIN TO YEH KAHUNGA KI UNKA MAHATAV AUR BI BARH GAYA HAI ANR VEH PEHLE SE BHI ZAYADA APNE PATI EVAM PARIVAR KASAATH DETI HAIN. WOMEN LIBERATION KE YUG MAIN MARDON KO APNA NAZARIAH AUR BADLANA HOGA AUR NARI KO KAMUK DRISHTI KI BAJAI SANMAN KI DRISHTI ME DEKHNA CHAHIYE. VISHAV MAIN JIN MULAKON NE BHI TARAKKI KI HAI UN MAIN NARI KA SANMAAN KIYA JATA HAI. HAAN YE BAAT BHI MANANI HOGI KI KUCHH NARIYON MAIN HAMAND JAROOR PAIDA HO GAYA HAI. PATA NAHIN MAIN IS BAAT MAIN KAHAN TAK THEEK HOON KYONKI MAIN NAARI JAATI KE SANMAN MAIN KUCH BHI GALAT NAHIN KEHNA CHAHTA. GURBANI MAIN BHI LIKHA HAI SO KYON MANDA AKHIYE JIT JAMME RAJAN. "ARDHANGNI'SHABAD KI MAHATATATA KO MAIN PURI TARAH JANTA HOON. WOMENS DAY SHOULD BE AN OCCATION WHEN WE UNDERSTAND THE IMPORTANCE OF WOMEN IN THE RIGHT PERSPECTIVE. THE TENDENCY TO DIVIDE THE SOCIETY BETWEEN GENDERS IS VERY HARMFUL TO THE SOCIETY, THEY ARE COMPLEMENTARY TO EACH OTHER.
    SUBHASH KHANNA

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  6. nari tumhari lekhan ka bhi koi javab nahin. tum hi sarasvati bhi ho.
    savita (sh.savita@gmail.com)

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