Thursday, March 14, 2013



यादें.......ग़ालिब के उस इश्ककी तरह है, जो एक दिमागी खलल के सिवाय  कुछ भी नहीं!!!!!!!
अब की बार सोचा .....यादों से बाहर निकल कर सोचे,....लेकिन आदत बदलने पर भी अंततः हम खुद को अंदर से बदल ही नहीं पाए शायद  वो वैसी की वैसी  ही आस-पास मंडरा जो रही थीं, खामखा परेशान करते हुए,... .बस जैसे की पिटारा खुलने भर की देरी हो ..और दिन कभी रौनक, कभी कशमकश में और रात आँखों ही आँखों  में बीत  जाती है, पता नही लगता!!!!!!
वो जो इस जहाँ से ही चले जाते हैं, एक सब्र,एक हिचकी  के साथ याद आते हैं .......... और किसी अपने का नज़र से दूर बसने पर, उसकी सोच में ही  रहना उसके करीब रहने के ही बराबर है,,, पर जो अपने, मौसम की तरह,  मुँह फेर लेते हैं, बदल जाते हैं...... एक टीस, एक बेचैनी और दर्द के साथयाद आते हैं.....कि जब फुर्सत में पलकें मिलें तभी भीग जायें.!!!
वो  यादें जिनमे किसी का मुस्कुराना, रूठना, मनाना, वो नाराजगी पल दो पल की,...वो हर जगह अपनी"मैं"के साथ,..वो बेवफाई भी,  कहीं रुसवाई भी.....बिछुड़ना भी है,...किसी की मौजूदगी में तन्हाई भी ,.....और किसी के होने पर होने का एहसास भी........मन प्रफ्फुलित कर देता है तो कभी आत्मविभोर भी...!!!! कभी इनको याद करके हम खयालो में खुद में सिमट जातें हैं, कभी आँखें नम हो जाती हैं,....कभी एक बेचैनी के साथ व्याकुल हो जातें हैं,,, और, कभी कभी लगता है,  इन यादों को याद करके, जिंदगी अपनों की यादों से गरीब हो जैसे!!!
जो काम कभी कभी जिंदगी नहीं करती, किसी के ख़याल और यादें कर देते हैं,.....लेकिन इस किसी की याद की  मसरूफियत में कितना कुछ अपने लिए भूल जाते हैं ये भी याद नहीं रहता है की हम खुद की अपनी जिंदगी में कितना मायने रखते हैं.!!!!! .लगता है जीने की कीमत ज़िन्दगी में यादों से ही भरी है, जैसे की यही एक अस्फजायी गुफ्तगु है, सिर्फ यही है जो वाकई में ........बिना किसी आकांक्षाओं और उम्मीदों से परे है!!!
कभी-कभी लगता है, वो कैसे होते  हैं जो यादों  के बिना जीते हैं,...??? क्योंकि एक याद आने पर अब चाहे वो खट्टी हो या मीठी,...या फिर नीम सी  कड़वी,..कई बार मुझे मरना सा लगा है और ये कब तन्हाई में जीने का सहारा और मकसद बन गयी, पता ही  नहीं  लगा..लेकिन  इनके होने  से  ये  भी  एहसास  हुआ  कि अभी एक उम्र बाकी है जो बितानी है... कोई एक रात तो नहीं जो इनके बगैर भी कट जाए क्योंकि अब यही  यादें जिंदगानी है,!!!!! 

8 comments:

  1. मधुमिता शर्माMarch 14, 2013 at 3:04 PM

    बहुत ही संजीदा विषय चुन कर प्रशंसनीय अभिव्यक्ति की है! साधुवाद!!!

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  2. Great. You seem to be a hidden writer. Keep it up. You should think of starting compiling your articles and I wish God helps you to get them published.

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  3. Bina yaadon ke to zindgi bilkul be-maani hai. Yaadein hamein zinda rakhtin hain. We live hoping for a better future, but usually we relish our past memories.Kabhi kabhi to dard bhi maza deta hai. Hai na?

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  4. आप को पढ़कर मन अनायास ही कुछ सोचने पर मजबूर हो जाता है । आप में निश्चित रूप से अपने अनुभवों को सजीव रूप से कागज़ के पन्नो पर उतार देने की अदभुद काबीलियत है ।
    अपने आसपास की हर चीज़ से इंसान का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बहुत गहरा रिश्ता होता है ऋतू जी पर सबसे गहरा रिश्ता उसका अपने आप से होता है, अपने बीते हुए कल से क्योंकि आज वो जो कुछ भी है उसी गुज़रे हुए कल से है । उसका संपूर्ण अस्तित्व ही एक मायने में उसका गुज़रा हुआ कल होता है, इसलिए उस कल से और उसकी यादों से तो छुटकारा संभव ही नही है ।

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    1. आपके प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया....!!और मैं आके कथन से भी सहमत हूँ.,...क्योंकि गम हो या ख़ुशी,..अकेले हो या सबके बीच ,यादें हमेशा बेहिसाब मुकर्र रहतीं ही हैं!!!

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  5. yaady wo daulat hai jisay koi nahi le sakta. yaady wo nisha hai jisay koi nahi meeta sakta. yahi to hai jindgani.

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  6. sahi kaha aapne "ab yahi zindagani hai... yaadain kaisi v ho , puri lyf sath hoti hai "

    mam, ye post to maine galti se dekh liya bt .. its realy nice

    love story

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    1. galti se hi sahi...thnx for compliments....do keep in touch with Blogs!!!!!!!!

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